SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सौभाग्य से अगला वर्ष प्रभु महावीर के जन्म-कल्याणक के २६०० वर्ष समाप्त होगा। उस अवसर पर हिन्दी भाषा में हमारा यह छोटा प्रयास है। इसके लिए हम पुनः स्व. आचार्य देवेन्द्र मुनि जी म. व गणि कल्याणविजय जी म. को पुनः प्रणाम करते हैं जिनके ग्रन्थों के कारण हम इस कार्य को सहजता से क पाये। हम उन सभी ग्रन्थों व प्रकाशकों के आभारी हैं, जिनके ग्रन्थों की हमारे द्वारा सहायता ली गई है। हम श्रमणसंघ के चर्तुथ आचार्य डॉ. शिव मुनि के आभारी हैं कि उन्होंने हमें आशीर्वाद दिया। साथ ही मुनि श्री जयचन्द जी म. व वीरेन्द्र मुनि के सुझावों के लिए आभार प्रकट करते हैं। यह ग्रन्थ सचित्र है। इन सभी चित्रों के लिए आप इस ग्रन्थ के व्यवस्थापक जैन जगत् के प्रसिद्ध विद्वान्, भाई श्री श्रीचन्द जी सुराना के आभारी हैं, जिनकी कृपा से हमें चित्र मिले। जिनका सहयोग इस प्रकाशन में काम आया। भाई राजेश जी इस ग्रन्थ के प्रकाशक हैं उनका सहयोग भी किसी से कम नहीं। हम समस्त सुराना परिवार व प्रकाशन विभाग के कर्मचारियों के आभारी हैं जिन्होंने भाषा व लिपि की कठिनाइयों को झेला और श्रमपूर्वक शुद्ध मुद्रण कराया। सबसे बढ़कर हम दानी सज्जनों के आभारी हैं जिन्होंने गुरु-भक्ति व प्रभु-भक्ति का प्रमाण देते हुए अपने द्रव्य का सदुपयोग किया। ___हम दोनों (रवीन्द्र व पुरुषोत्तम) प्रेरिका व समस्त साध्वी परिवार इस ग्रन्थ को जिनशासन प्रभाविका, जैन ज्योति, महाश्रमणी जैन पंजाबी साहित्य की प्रथम प्रेरिका, लेखिका, शास्त्र मर्मज्ञ गुरुणी, उपप्रवर्तिनी श्री स्वर्णकान्ता जी म. के कर-कमलों में भेंट करते हैं। प्रभु महावीर के २६०० साला जन्म-दिन पर हमारी भेंट स्वीकार करें। विद्वत् जनों से प्रार्थना है कि इस ग्रन्थ के लेखन प्रकाशन में बहुत-सी त्रुटियाँ रह जाना स्वाभाविक है। विचार भेद कोई रह सकता है जिसके कारण किसी की मान्यता परम्परा को आघात पहुँचा हो, तो हम मन, वचन, काया से प्रभु महावीर की साक्षी से क्षमा माँगते हैं। हमारा हिन्दी भाषा में प्रथम प्रयत्न है। विद्वत् जन इस ग्रन्थ में अच्छी बात ग्रहण करें। जो त्रुटियाँ हों, वह हमारी झोली में डाल दें। लाइब्रेरी की पुस्तकों के लिए आचार्य विमल मुनि जी म., साध्वी डॉ. साधना जी म. व आचार्य नित्यानंद जी म. का आशीर्वाद व सहयोग हमें मिलता रहा है। इस महत्त्वपूर्ण सहयोग के लिए धन्यवाद के पात्र हैं! एक बार में पुनः इस ग्रन्थ की आशीर्वादिका साध्वी राजकुमारी जी म., प्रेरिका साध्वी सुधा जी म. तथा संपादिका डॉ. स्मृति जी म. का आभार प्रकट करते हैं। जिन विद्वानों ने सुझाव दिये उनके भी आभारी हैं। वह सब साधुवाद व धन्यवाद के पात्र हैं। १८ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003697
Book TitleSachitra Bhagwan Mahavir Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindra Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy