________________
आचार्य देवेन्द्र मुनि जी की कृति महावीर का जीवन-चरित्र का एक शोध प्रबन्ध है। उन्होंने सभी लिखित जीवनचरित्र ग्रन्थों को सामने रखकर हर बात लिखी है। आचार्य श्री देवेन्द्रमुनि जी की पुस्तक भगवान महावीर : एक अनुशीलन हमारे लिए आधार भूत बनी है।
हमारा प्रयास रहा है कि प्रस्तुत पुस्तक में श्वेताम्बर और दिगम्बर मान्यताओं का उल्लेख कर दिया जाये। प्रभु महावीर का जीवन चरित्र विभिन्न समय पर विभिन्न आचार्यों व विद्वानों ने भिन्न-भिन्न भाषाओं में प्रकाशित किया है। उन सबका वर्णन यहाँ इसलिए करना जरूरी है कि हमने इन ग्रन्थों का आधार इस पुस्तक में लिया गया है।
प्रभु महावीर के जीवन स्रोत का विवरण हमें इन ग्रन्थों से उपलब्ध है जिनका विवरण इस प्रकार है
क्र. सं.
पुस्तक का नाम
रचयिता
समय
भाषा
१. आचारांगसूत्र, श्रुतस्कंध-प्रथम, द्वितीय आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत २. सूत्रकृतांग
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत ३. स्थानांग
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत ४. समवायांग
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत ५. भगवतीसूत्र
आर्य सुधर्मा ___ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत ६. ज्ञाताधर्मकथांग
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत ७. उपासकदशांग
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत ८. अन्तकृद्दशांग
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत ९. अनुत्तरौपपातिक
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत १०. विपाक
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत ११. औपपातिक
आर्य सुधर्मा ___ ई. पू. छटी शताब्दी - अर्ध-मागधी, प्राकृत १२. निरयावलिका
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत १३. राजप्रश्नीय
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत १४. कल्पावतंसिका
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्धमागधी, प्राकृत १५. पुष्पिका
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत १६. उत्तराध्ययन
आर्य सुधर्मा ई. पू. छटी शताब्दी अर्ध-मागधी, प्राकृत
مو مو مو مو مو
مر
इन सभी ग्रन्थों का संकलन भगवान महावीर के समय उनके पाँचवें गणधर आर्य सुधर्मा ने किया था। इनमें प्रभु महावीर के जीवन की प्रमुख घटनाओं का वर्णन आ गया है।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org