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साहित्य
चूर्ण में संस्कृत व प्राकृत दोनों भाषाएँ मिलती हैं। इस चूर्णि साहित्य में प्रमुख आवश्यक चूर्णि है जिसमें प्रभु महावीर की तपस्या का वर्णन विशद रूप में मिलता है। चूर्णि ग्रन्थों के अतिरिक्त निम्नलिखित ग्रन्थों में प्रभु महावीर का जीवनवृत्त प्राकृत भाषा में मिलता है
१. चउपन्न महापुरुष चरिअं
२. महावीर चरिअं
३. महावीर चरिअं
४. श्री तिलोय पन्नत्ति
१. त्रिषष्ठिशलाका पुरुष चरित्र २. लघु त्रिषष्ठिशलाका पुरुष चरित्र
३. लघु त्रिशष्ठिशलाका पुरुष चरित्र
४. तिरेसठ स्मृतिशास्त्र
प्रभु महावीर का जीवन संस्कृत भाषा में भी निम्नलिखित आचार्यों ने लिखा है। यह ग्रन्थ संस्कृत भाषा में अपना महत्त्व रखते हैं। ज्यादातर ग्रन्थ दिगम्बर आचार्यों ने लिखे हैं
वि. सं. ११२६-११२९
५. महापुराण
६. पुराण सार संग्रह
७. रायमल्ल अभोदय
८. चतुरविंशती जिनचरित्र
९. वीरोदयकाव्य
१०. उत्तरपुराण
११. वर्द्धनाम चरित्रम्
१२. वीर वर्द्धमान चरित्र
श्री शीलंकाचार्य श्री नेमिचन्द्रसूरि श्री गुणचन्द्र
१. तिरेसठ महापुरुष गुणालंकार
महापुराण
२. वढ्माण कहा
३. वढ्माण कहा
४. महावीर चरित्र
५. महावीर चरित्र
६. वढमाण कहा
७. वढमाण चरित्र
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कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र जी सोमप्रभ आचार्य
महामहिम उपाध्याय श्री मेघविजय जी पण्डित आशाधर जी
मेरुतुंग
अज्ञात
पदमचन्द्र
अमरचन्द
मुनि ज्ञानसागर
आचार्य
गुणभद्र
महाकवि असंग
भट्टारक सकलकीर्ति
जयमित्र
अभयदेवसूरि
पुष्यदंत
रइघू
कवि नरषेण
श्री धर्मकवि
विक्रम ८६८ विक्रम ११४१
विक्रम ११३९
अपभ्रंश साहित्य
इस भाषा में जैन साहित्य विपुल मात्रा में उपलब्ध है। हिन्दी भाषा इसी भाषा से निकली है। कुछ दूसरे साहित्य को छोड़ सारा साहित्य जैन है। प्रभु महावीर पर लिखे ग्रन्थ का वर्णन इस प्रकार है
आचार्य पुष्पमित्र
९वीं - १०वींसदी
१०
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१६१५
२०वीं सदी
१५वीं शताब्दी
सं. १५४५
सं. १५१२
सं. १५१२
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