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________________ गणधर संवाद सभी आचार्यों ने प्रायः एक-दो को छोड़कर प्रभु की प्रथम देशना को असफल जाना आश्चर्य माना है। भगवान महावीर ने भी एक क्षण उपदेश दिया था। फिर वे मौन हो गये। पर महावीर चरियं में आचार्य गुणचन्द्र इसमें मानव की उपस्थिति मानते हैं। शीलांकाचार्य ने तो ११ गणधरों की दीक्षा प्रथम देशना में दिखाई है। आचार्य देवेन्द्र मुनि जी म. आगमों के आधार पर इस बात से सहमत नहीं हैं। प्रस्तुत खण्ड में हम तीर्थंकर काल की प्रथम घटना का वर्णन करने जा रहे हैं। ग्यारह गणधर व उनका संक्षिप्त परिचय जैनधर्म में ११ गणधरों का बहुत महत्त्व है। ये महापुरुष अपनी परम्परा के सिद्धहस्त विद्वान् व अध्यापक थे। उन दिनों मध्यम पावा में एक विशाल यज्ञ का आयोजन सोमिल ब्राह्मण के द्वारा किया गया। इसमें इन्द्रभूति आदि ११ गणधर व उनके शिष्य शामिल थे। यहाँ एक बात स्पष्ट करना जरूरी है कि गौतम एक ब्राह्मण-क्षत्रिय गोत्र है। इन्द्रभूति उनका नाम है। इस नाम के जैन परम्परा में कई व्यक्ति हुए हैं। महात्मा बुद्ध को भी गौतम बुद्ध कहते हैं। गौतम नाम का ऋषि वैदिक परम्परा में हुआ है। विदेशी लेखकों ने इसी भ्रमवश महावीर व बुद्ध को एक मान लिया था। ___ इन्द्रभूति गौतम का जन्म स्थान नालंदा के पास का गोबरग्राम था। उनके अग्निभूति व वायुभूति विद्वान् भ्राता थे। इन सभी के ५००-५०० विद्यार्थी शिष्य थे, जो वेद, वेदांग, पुराण व इतिहास सीखते थे। वे गुरुकुल में रहकर अपना अध्यापन सम्पन्न करते थे। इनकी माता पृथ्वी व पिता वसुभूति थे। ___ व्यक्त व सुधर्मा नाम के दो वैदिक विद्वान् कोल्लाक सन्निवेश के रहने वाले थे। व्यक्त का गोत्र भारद्वाज था और सुधर्मा का अग्नि वैश्यायन। इनके भी ५००-५०० छात्र थे। सुधर्मा की माता भद्दिला और पिता धम्मिल थे। व्यक्त की माता वाराणी व पिता धनमित्र थे। यज्ञ में मण्डित व मौर्यपुत्र-मौर्य सनिवेश से आये थे। मण्डित का वशिष्ट गोत्र था मौर्यपुत्र का काश्यप गोत्र। दोनों के ३५०-३५० शिष्यों का परिवार था। मण्डित की माता विजयादेवी और पिता धनदेव थे। दोनों भाई थे। अकम्पित, अचलभ्राता, मैतार्य, प्रभास नाम के चार विद्वान् भी उस सभा में थे, जो क्रमशः मिथिला, कौशल, तुंगिया (कौशाम्बी) व राजगृह से आये थे। अकम्पित का गोत्र गौतम व अचलभ्राता का हारित था। मैतार्य व प्रभास का गोत्र कौण्डिन्य था। इन सभी के ३००-३०० छात्र थे। अकम्पित की माता जयन्ती व पिता देव थे। अचलभ्राता की माता का नाम नन्दा और पिता वसुदेव थे। मैतार्य की माता वरुणादेवा व पिता पन्त थे। प्रभास जी की माता का नाम अतिभद्रा व पिता बल थे। सभी गणधरों की आयु प्रभु महावीर के समवसरण में दीक्षा ग्रहण करने से पहले क्रमशः इस प्रकार थी-५०, ४६, ४२, ५०, ५०, ५३, ६७, ४८, ४६, ३६, १६ वर्ष थी। जिस समय प्रभु महावीर ने केवलज्ञान की प्राप्ति की तो उनकी आयु ४२ वर्ष की थी। मैतार्य और प्रभास को छोड़ सभी गणधर प्रभु महावीर से आयु में बड़े थे। सभी कुलीन ब्राह्मण परिवारों से सम्बन्धित क्रियाकाण्डी ब्राह्मण थे। सचित्र भगवान महावीर जीवन चरित्र __ १११] १११ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003697
Book TitleSachitra Bhagwan Mahavir Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindra Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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