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________________ भगवान महावीर की साधना का लेखा-जोखा प्रभु महावीर ने १२ वर्ष १३ पक्ष की लम्बी अवधि में से केवल ३४९ दिन आहार किया। शेष दिन निर्जल और निराहार रहे। सक्षिप्त में भगवान महावीर का तप का ब्यौरा इस प्रकार है तपकाल ६ मास ५ दिन कम ६ मास चातुर्मासिक तीन मास सार्ध द्विमासिक - दो महीने सार्ध-मासिक Jain Educationa International (१) कांस्य पात्र की तरह निर्लेप । (२) शंख की तरह निरंजन राग रहित । (३) जीव की तरह अप्रतिहत गति । (४) आकाश की तरह आलम्बन रहित । (५) वायु की तरह अप्रतिबद्ध । (६) शरद ऋतु के स्वच्छ जल की तरह निर्मल । (७) कमल - पत्र की तरह भोग से निर्लेप | (८) कूर्म (कछुए) की तरह जितेन्द्रिय गिनती १ तप 9 ९ २ मासिक पाक्षिक उपवास अष्टम भक्त १२ षष्टम भक्त २२९ इसके अतिरिक्त दशम भक्त आदि की तपस्या का विवरण आचारांगसूत्र में मिलता है। कुल मिलाकर प्रभु महावीर ने साधक जीवन के ४,५१५ दिनों में ३४९ दिन भोजन ग्रहण किया। ४, १६६ दिन निर्जल तपस्या द्वारा कर्म को खपाया । २ सचित्र भगवान महावीर जीवन चरित्र ६ जिसका प्रभु महावीर के गुणों का वर्णन कल्पसूत्र में स्वयं आचार्य भद्रबाहु ने विभिन्न उपमाओं द्वारा किया है, वर्णन इस प्रकार है २ १२ ७२ १६ For Personal and Private Use Only ९९ www.jainelibrary.org
SR No.003697
Book TitleSachitra Bhagwan Mahavir Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindra Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year2000
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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