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उ... तवो जोइ जीवो जोइ ठाणं जोगासूया सरिर कास्सिंगं । कम्मपहासंजमजोग.संती होमं हुणामिइसिणं पसथं ॥४४॥
केतेहरए केयतेसंतितिथ्थे कहंसिएहाओ वरयंजहासि । आइख्खणे संजयजख्खपूइया इछामोनाओ भवओ सगासे॥४५॥ धम्मेहरए बंभे संति तिथ्थे अणाविले अत्तपसन्नलेसे। जहिंसिएहाओ विमलो विसुद्धो सुसीइ भूओ पजहामिदोसं ॥४६॥
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ए सांभळीने साधु बोल्था, " तप मारो अग्निछे जीव अग्निकुंड छे मन बचननो शुभ व्यापार शुद्ध आचरण ए मारो धी 18 होमवानो चाटवो छे; शरीर इन्धन रुपछे अने कर्म तेमां बळेछ. सप्तदश विधे संयम योग अने शान्ति जेनी पंडित पुरुषो स्तुति करी
गया छे, तेनो हुँ होम हवन करुंटुं." [४४]. ए सांभळीने ब्राह्मणो वोल्या, 'हे यक्षपूजित ऋपि! आपर्नु तीर्थ कयु? स्नान करवा योग्य जळाधारी कइ? मेल टाळवाने आप केवी रीते स्नान करोछो ? ए सर्व आपनी पासेथी जाणवाने अमे इच्छिये छीए.' (४५). ए सांभळीने मुनि बोल्या, “ धर्म मारु तीर्थ छे; ब्रह्मचर्य मारी जळाधारी छे जे जळाधारी सदा शान्त अने आत्माने निर्मळ करनार [तेज, पद्म, शुक्ल ] लेश्याए करीने सहित छे तेमां हुं स्नान करंर्छ अने मळरहित, विशुद्ध अने शीतल थइने सर्व दोपने छां९ ई.२ [४६].
१."ध्यान धूपं, मनोपुष्पं, पंचेन्द्रिय हुताशनं क्षमा जाप, संतोष पूजा, पूजो देव निरंजनं," तेने मळतुं आ गाथार्नु रहस्य छे. 181 प्रो. जेकोबीना आ गाथाना शब्दो घणांज असर कारक छे.-"Penance is my fire; Life my fireplace; right
exertion is my sacrificial ladle, the body the dried cowdung; Karman is any fuel;self-control, right exertion and tranquillity are the oblations, praised by the sages, which I offer".
२. आ शब्दो सुवर्ण अक्षरे आलेखी हमेशां स्मरण करवा लायक छ. प्रो. जेकोबीना शब्दोमा आपणे ते पुनः स्मरीए. “The Law is my pond; celibacy my holy bathing-place, which is not turbid and through| out clear for the soul; there I make ablutions; pure, clean, and thoroughly cooled I get 18 al rid of hatred (or impurity).”
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