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________________ उ. अ. १३. ८९, एवं सिणाणं कुसले हिंदि महासिणाणं इसिणं पसथ्यं । जहं सिएनहाया विमला विसुद्धा महारिसी उत्तमंठाणं पत्तेतिबेमि ॥ इति हरिए सिज्जं झयणं बारसमं सम्मत्तं ॥ १२ ॥ 118011 अध्ययन १३. चित्र अने सम्भूत. जाइपराजिओखलु कासिनियाणंबु हथिणपुरंमि । चुलणीए बंभद्धत्तो उववन्नो पओमगुम्माओ ॥१॥ कंपिल्ले संभूओ. चित्तो पुणजाओ पुरिमतालंभि । सेडिकुलमि विसाले धम्मं सोऊणपव्वइओ ॥२॥ -02 セブシ 66 कुशळ पंडितोए एवा प्रकारनुं स्नान शोधी काढयुंछ; ए उत्तम स्नाननी ऋषि मुनिओए प्रशंसा करीछे; महा मुनिओ मां स्नान करीने निर्मळ अने विशुद्ध थयाछे अने उत्तम स्थान (मुक्ति) ने विषे गयाछे. " (४१). ॥ बार अध्ययन संपूर्ण ॥ ** Jain Educatioemational * अध्ययन १३. चांडाळ जातिमां उत्पन्न थवाथी कवळीने [चित्रना न्हाना भाइ ] सम्भूते (पुनर्जन्ममां ) हस्तिनापुरमां चक्रवर्त्ति राजा थवानो बूरो संकल्प कर्यो, अने तेथी पद्मगुल्म [ अने नलिनगुल्म] विमानेथी चवीने कंपिलपुर नगरमां ब्रह्म राजानी भार्या चुलणीना उदरे ब्रह्मदत्त नामी जन्म धारण कर्यो. [१]. चित्रनो जीव पुरिमताल नगरने विषे एक शेठना श्रेष्ठ विस्तीर्ण कुळमां उपज्यो. त्यां अनुक्रमे धर्म श्रवण करीने तेणे दीक्षा ग्रहण करी. (२). For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003693
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Mohanlal Damodar
PublisherMehta Mohanlal Damodar
Publication Year
Total Pages352
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size20 MB
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