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VR संखंक कुंद संकासा खीर पूर समप्पभा १ रयय हार संकासा सुक्क लेसाओ वन्नओ ॥९॥ जह कडुय तुंबग रसो
1 निंब रसो कडुय रोहिणि रसोवा । इत्तोउ अणंत गुणो। रसोउ किण्हाए नायव्वो ॥ १० ॥ जह तिकडुयरस रसो M तिख्खो जह हथ्थिपिप्पली एवा । इत्तोवि अणंत गुणो रसोउ नीलाए नायब्बो ॥ ११ ॥ जह तरुण अंवग रसो
तुंवर कवठस्स वावि जारिसओ । इत्तोवि अणंत गुणो रसोउ काऊण नायव्यो ॥१२॥ जह परिणयंवंग रसो पक्क कविठ्ठरसवावि जारिसओ। इत्तोवि अगंत गुणो रसोउ तेऊए नायव्यो ॥१३॥ वर वारुणीएव रसो विविहाणब आसवाण जारिसओ । महु मेरगस्सव रसो इत्तो पम्हाए परएणं ॥ १४ ॥ खज्जर मुड़िय रसो खीर रसो खंड सकर रसोवा । इत्तोवि अणंत गुणो रसोउ सुक्काए नायव्यो ॥१५॥
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शुक्-लेश्यानो रंग शंख जेवो, अंक-मणि शुक्ल-मणि] जेवो, कुन्द वृक्षनां फुल जेबो, दूधनी धारा जेवो, रुपा जेवो अथवा मुक्ताहार मोतीनी माळा जेवो होय छे. (९). ३ कृष्ण-लेश्यानो रस कडवी तंबडीना, कडवा लींबडाना अथवा तो रोहिणीना स्वाद करतां अनंत गणो वधारे कडवी होय छे. [१०]. नील-लेश्यानो रस त्रिकटुक सुंठ, मरी अने पीपर)ना अने हस्ति-पिप्पिली गज-पीपरना स्वाद करतां अनंत गणो तीक्ष्ण तीखो] होय छे. [११]. कापोत-लेश्यानो रस काची केरीना अने काचा कपित्थ (कोठा)ना स्वाद करतां अनंत गणो खाटो होयछे, [१२]. तेजो-लेश्यानो रस पाकी केरीना अने पक्क कपित्थ पाक कोगना स्वाद करतां अनंत गणो खट मीठो होय छे. [१३]. पद्म-लेश्यांनो रस उत्तम मदिराना, विविध प्रकारना आसवना, मधु-मद्यना अने
मेरकना स्वाद करतां अनंत गणो [खट मीठो होय छे. [१४]. शुक्ल-लेश्यानो रस खजूर, द्राक्ष, दूध, खांड अने साकरना स्वाद 18 करतां अनंत गणो मधुर [मीगे] होय छे. (१५).
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