SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 228
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ । एगोपडइ पासणं निवेसे निवज्जइ । उक्कुइइ उफ्फिडइ सढे बालगविचए ॥ ५॥ माइ मुद्धेण पडइ कुद्धे गड्डइ पडिपहं । मयलख्खेण चिद वेगेणय पहावइ ॥६॥ छिन्नालेछिदइ सिल्लिं दुईते भंजइजुगं । सेविय सुरसु । २२२६] याइत्ता उज्जहित्ता पलायइ ॥ ७ ॥ रूग्लुका जारिसाजोज्जा दुस्सिसाविहुतारिसा । जोइया धम्मजाणंमि भजतिधिइ al दुब्बला ॥८॥ इवीगारविए एगे एगेथ्य रसगारवे । साया गारविए एगे एगेसुचिर कोहणे ॥९॥ गलियो बळद पडखा भेर पडी जाय छे, अथवा बेसी जाय छ, अथवा सूइ जाय छे, अथवा कूदवा अने ठेकवा मांडे छे, 18 | अथवा तो ए बाल गायने देखीने तेनी पाछळ दोडे छे. (५). “गलियो बळद कोइ उपर हुमलो करवा जतो होय तेवी रीते माथु । 18 नीचुं नमावीने जुस्साथी आगळ धसे छ, अथवा तो क्रोधी पाटो हठे छ; अथवा तो मृत्यु पाम्यो होय तेवो ढोंग करीने १ पृथ्वी 18 | उपर पडे छे अथवा तो वेगथी दोडे छे. (६). ते दुष्ट बळद राश तोडी नाखे छे अथवा तो ते शिरजोर बळद धुसरी भांगी नांखे । छ; अने ते बराडा पाडतो छूटो थइने न्हासी जाय छे. [७]. जेवी रीते गलियो बळद रथमां जोडावाथी क्लेश उपजावे छे, तेम दूष्ट [विनय-रहित ] शिष्यो पण धर्मरुपी रथमां जोडाइने पोतानी अस्थिर २ वृत्तिने लीधे संयम मार्गनो भंग करे छे. (८). कोद शिष्य मानरुपी रिद्धिनो गर्वित होय छे, कोइ रस-गर्वित [ स्वाद लंपट ] होय छे, कोइ शाता-गर्वित होय छे तो कोइ सुचिर-क्रोधी [ दीर्घ-रोपी ] होय छे. [९]. ०७ 00000000००००००००००००००० १ आने बदले प्रोफेसर जेकोबी लखे छे के “ स्थिर उभो रहे छे" पण मूएलो बळद स्थिर उभो रहे ते संभवे नहि. 1:1 ? Want of Zeal. Jan Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003693
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Mohanlal Damodar
PublisherMehta Mohanlal Damodar
Publication Year
Total Pages352
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy