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________________ उ. अ. २७ २२१ अध्ययन २७. गलिया बळद. थेरे गहरे गग्गे मुणी आसि विसारए | आइन्ने गणभावमि समाहिं पडिसंघ ॥ १ ॥ वहयेवमाणस्स कंतारं अइवचइ । जोए वहमाणस्स संसारो अइवतई ॥ २ ॥ खलुंके जोओ जोएइ विहमाणो किलिस्सई । असमाहिंच बेएई तोत्तएय सेभज्ञ्जइ ॥३॥ एवं डंसइ पुलमि एगं विधइ अभिख्खणं । एगोभंजइ समिलं एगो उपह 11811 अध्ययन २७. गर्ग नामे १ स्थविर, २ गणधर अने सर्व शास्त्र निपुण मुनि हता. ते गर्ग गणधर एक वखत निचे प्रमाणे चिंत्वन करवा या :- (१). 'रथने सारा वळद जोडवाथी अटवी (अरण्य )नो पार पमाय छे; तेम संयम मार्गने विषे ( सदाचारथी ) गार्ड चाववाथी संसारनो पार पमाय छे. ' (२). ' पण जे कोइ ४ गलिया बळदने पोताने गाडे जोडे छे ते तेमने मारी मारीने थाकी जाय छे, तेने क्लेश उपजेछे अने भाखरे तेनो परोणो पण भांगी जाय छे. ' [३]. '" रुठेलो सारथी दांतवति गलिया बळदनुं पूंछ करडे छे अने तेने आरवति दधे छे; ते वळद धुंसरीनी समिला (मेख) भांगी नांखे छे, अने आडे मार्गे (उन्मार्गे) दोडवा मांडेछे. ४ १ स्थविर =धर्मने विषे स्थिर अथवा द्दढ. २ गणधर गण अथवा गच्छनो धारक, तीर्थंकर भगवानना गणधरना अर्थमा ए शब्द अहिं वपरायेल नथी. ३ आने बदले प्रो. जेकोबी एम लखे छे के 'गाडामां बेसवाथी अटवीनो पार पमाय छे. ४ Strong but lazy bull. ५ आटला भागनुं भाषान्तर मो. जेकोबी एवी रीते करे छे के ' गलियो चळद पोताना जोडिया बळदनुं पूंछ करडे छे अने तेने घायल करेछे, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jairy.org
SR No.003693
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Mohanlal Damodar
PublisherMehta Mohanlal Damodar
Publication Year
Total Pages352
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size20 MB
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