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________________ उ.. दीहकालियंचारोगायकंहवेज्जा केवलिपनत्ताओ धम्माओभंसेज्जा तम्हाखलुनोनिग्गंथे इथ्थीणं कहं कहेजा ॥ २ ॥ नोनिग्गंथे इथ्थीहिंसडिंसंनिसिज्जागए विहरेत्ता, हवइसेनिग्गंथे तं कहमितिचे आयरियाहनिग्गंथरस खलुइथ्थिहिंसद्धिंसंनि सेज्जागयस्स विहरमाणस्सबंभयारिस्सबंभचे रेसंकावाकखावा वितिगियावा समुपजेजाभयंवालभेज्जा उम्मायं वापाउणिज्जा दीहंकालियंवा रोग्गयंकहवेज्जाकवलिपन्नत्ताओ धम्माओ भंसेज्जा तम्हाखलुनोनिग्गंथे इथ्थीहिंसाळिसांने सेज्जागएविहरिज्जा॥३॥नोनिग्गंथेइथ्थीणंइंदियाइंमणोहराइमणोरमाइंआलोइत्ता,निझाइत्ताभवइसनिग्मथे।तंकहमितिचे आयरियाहनिग्गंथस्सखलुइथ्थीणंइंदियाइमणाहराइंमणोरमाइं,आलोए माणस्स निझाएमाणरसबंभयारिस्सबंभचे रेसंकावा कंखावावितिगिलावा समुप्पजेज्जाभेयवालभेज्जा उम्मायंबापाओणिज्जा।।दीहकालियंवारोगायक हवेज्जाकेवलिपन्नत्ताओ धम्माओभंसेज्जा तम्हा खलुनोनिग्गंथेइथ्थीणं इदियाइं मणोहराई मणोरमाइं आलोइत्तानिझाइत्ता ॥४॥ ००००००००००० ००००००००००००० १. केटलीक प्रतोमा ' आलोइत्ता निझाइ माणस्स'छे, अने केटलीकमां 'आलोए निझाए माणस्स' एम भेगुं लीधेलुछे. | करवानुं कारण समजाव्युं छे के जो निग्रंथ स्त्री कथा करे तो ते पोते ब्रह्मचारी होय छतां..........( उपर प्रमाणे ). ३. निग्रंथे स्त्रीनी संगाथे एकज आसने वेसवु नहि. श्री आचार्ये तेम न करवानुं कारण समजाव्युं छे के जो निग्रंथ स्त्रीनी संगाथे एकज आसने बेसे तो............(उपर प्रमाणे) ४. निग्रंथे स्त्रीनां सौंदर्य तथा मनोहरता तरफ नजर करवी नहि, तेमज तेनं चिंत्वन कर नहि. श्री आचार्ये............(उपर प्रमाण). १. शियळनी नव वाड. Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003693
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Mohanlal Damodar
PublisherMehta Mohanlal Damodar
Publication Year
Total Pages352
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size20 MB
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