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श
नाषान्तर सहित.
॥ तोटक बंद ॥ इम काम विलास नलास तए, रसरीति हृदे अनुनावतए ॥ जिमचंदन अंग विलेप तए, हिय होय सदा सुख संपतए ॥२३॥
नावार्थः- एम कामनो विलास उसासे करी हृदयने विषे रसरीतिए करी अनुनव्यो कदेतां आचर्यो प्राणीने केवो थाय ? तो के- जेम अंगने विषे चंदननुं विलेपन करवाथी ताढक उपजे जे तेम प्राणीने एनाथी (कामविलासथी) सुख संपत्ति थाय.
इति श्री सूक्त मुक्तावल्यां काम वर्गस्तृतीयः
सह नाषान्तर समाप्तः ॥
PEOPORE
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