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१६७ सूक्तमुक्तावली धर्मवर्ग श्म अरथ रसाला ( विशाला) जे रची सूक्तमाला, धरमनृपति बाला मालिनी बंद शाला (माला)॥धरम मति (नय)धरंतांजे शहां पुन्य बांध्यो (ए इहां पुण्य वाध्यो),प्रथम धरम केरोसार ए वर्ग (धर्म) साध्यो॥ . नावार्थः-ग्रंथकार कहे जे के, एवी रीते बोहोला अने रसाल अर्थ जेमां बे, एवी आ धर्मराजानी पुत्री समान सूक्तमालानी रचना विशेष मालिनी बंदमां करी , अहींया धर्मबुझि धारतां प्राणी पुन्यनी रासी बांधे , एवो था चार वर्ग मांदेलो पहेलो धर्म वर्ग कह्यो. ७७
॥ इति श्रीसूक्तमुक्तावली ग्रंथेप्रथम धर्म वर्ग समाप्तम्॥१६
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