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॥ मोक्ष वर्ग ॥ मोक्षार्थ विषे कर्म विषे क्षमा विषे
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क्षमागुण प्रदरनार विषे क्षमागुणे करी मोक्षपद पामनार खंधक सूरीना पांचसें शिष्य ने क्षमा नही धरवाथी दुःखनी परंपरा पामनार खंधक सूरीनो प्रबंध
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क्षमा यादरवाथी मोक्षपद पामनार दृढप्रहारीनो प्रबंध मागुणे सिवसुख मेलवनार कूरगमु साधुनो प्रबंध मागुण वडे मेतार्य मुनिए मोह मेलव्यानो प्रबंध संयम विषे
चारित्रनी लब्धिए करें | सिंहादिक पशुने बोध पमानार
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एकत्त्व जावना उपर नमीराजानो प्रबंध पंचम अन्यत्व जावना विषे
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बलदेव सुनिनो प्रबंध
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द्वादश जावना - प्रथम अनित्य जावना विषे.... नित्य जावना-संसार स्वरूप उपर जीखारीनो दृष्टांत नित्य जावना कायानी माया तजनार जरत चक्रवर्त्तिनो प्रबंध३१६ द्वितीय अशरण जावना विषे अशरण जावना - धर्मनुं शरण करनार खनायी मुनिनो प्रबंध ३१९ तृतीय संसार जावना विषे मंगु आचार्यनो प्रबंध चतुर्थ ऐकत्व जावना विषे
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षष्ट शूचि जावना विषे
कायानी शुचिताई जाणी तेनो मोह बांडी चारित्र लेनार सनत्कुमार चक्रवर्त्तिनो प्रबंध
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