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५- समग्र दर्शन
२९:
कहीं स्त्री कहीं पुरुष, कहीं इष्ट कहीं अनिष्ट । परन्तु जिस प्रकार समग्र वनको युगपत् देखनेपर इन सब विषमताओंसे समवेत वह वन केवल वन है अन्य कुछ नहीं, इसी प्रकार समग्र विश्वको युगपत् देखने पर यह विश्व केवल विश्व है अन्य कुछ नहीं ।
जिस प्रकार किसी कारखानेमें अनेकों मशीनें हैं और प्रत्येक मशीनमें अनेकों पुर्जे हैं, सब परस्पर एक दूसरेसे सहयोग प्राप्त करते हुए और परस्परमें एक दूसरेको सहयोग देते हुए अपना कार्य कर रहे हैं; उसीप्रकार इस विश्वमें अनेकों जड़ व चेतन पदार्थ हैं, सब परस्परमें एक दूसरेसे सहयोग प्राप्त करते हुए तथा परस्परमें एक दूसरेको सहयोग देते हुए अपना-अपना कार्य कर रहे हैं । जिस प्रकार मूल्यकी दृष्टिसे देखनेपर कोई बड़ी ग़रारी है और कोई उसे शेफ्ट के साथ बांधकर रखने वाली छोटीसी पिन । इसी प्रकार विषयको दृष्टि से देखनेपर इस विश्वमें चेतन पदार्थ अधिक महत्व - शाली हैं और जड़ पदार्थं तुच्छ । परन्तु जिस प्रकार अपने-अपने कामके महत्वकी दृष्टि से देखनेपर उस छोटीसी पिनका भी उतनाही महत्व हैं जितना कि उस बड़ी ग़रारीका, इसी प्रकार अपने-अपने काम महत्वकी दृष्टिसे देखनेपर जड़ पदार्थ भी उतने ही महत्वका है जितना कि चेतन पदार्थ, क्योंकि जिस प्रकार गरारीको हटा लेनेपर सारा कारखाना ठप हो जाता है उसी प्रकार उस पिनको हटा लेनेपर भी सारा कारखाना ठप हो जाता है । जिस प्रकार चेतन पदार्थको हटा लेनेपर विश्वकी सारी कार्यवाही ठप हो जाती है, उसी प्रकार जड़ पदार्थको हटा लेनेपर भी विश्वकी सारी कार्यवाही ठप हो जाती है ।
४. सागर में बिन्दु
अन्तर्बाह्य एकरूप इस महाशून्यमें अथवा महाआकाशमें कहीं भी एक प्वायंट लगा देनेपर अथवा अंगुली टिका देनेपर पूर्व
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