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________________ उपरी मंजिल अर्थात् स्वर्गपुरी गुंफा : इसमें एक लम्बा प्रकोष्ठ है। इसकी छत निचली और जीर्ण-शीर्ण है। फर्श पीछे से उठा हुआ है। इस में तीन प्रवेश द्वार हैं। फुलों और वनस्पति से युक्त तोरण बने हुए हैं। बगल में एक दरवाजे वाली एक और कोठी हैं। इसकी छत भी निचली और क्षतिग्रस्त है । बरामदा की छत और साहरा देने वाले खम्भों के गिरजाने से सामने बेंच युक्त बरामदा भी है। दूसरे और तीसरे दरवाजों की बीच में तीन पंक्तियों का एक अभिलेख है। जो निम्नांकित हैं । १. २. ३. अरहन्त पसादाय कलिंगानं समनानं लेनं कारितं राजिनो ललाकस हथिसिस पपात धुतुना कलिगं चकवतिनो सिरि खारवेल स । अगमहिसिना कारितं अर्थात् अरहतों के प्रसाद से कलिंग के श्रमणों के लिए निर्मित की गई गुम्फा राजा ललक की (पुत्री) और हाथी सिंह की प्रपौत्री कलिंग के चक्रवर्ती श्री खारवेल की अग्र महिषी (पटरानी) ने इस गुंफा का निर्माण कराया था। बगल के कमरे में और पश्चिमी दीवाल के मध्य में एक खिड़की हैं। मरम्मत किये गये बगल के खंभों पर पंख युक्त जानवरों की आकृतियाँ हैं । उनके उपर निर्मित तोरण पर वनस्पतीय चिन्ह और मकर के मुख से निकलती हुई लतायें सुशोभित होती है। १०. गणेश गुंफा १. रानी गुम्फा से दाहिनी पश्चिम की ओर कुछ दूरी पर गणेश गुम्फा स्थित है । इस गुफा में दो लम्बे प्रकोष्ठ हैं, जिनका उपयोग श्रमणों के आवास के लिए किया जाता था। इन दोनों कमरों में दो-दो प्रवेश द्वार हैं। इनके सामने बेंच युक्त बरामदा है। प्रांगण से शीघ्र ही कुछ कदम चल कर बरामदा में प्रवेश किया जा सकता है। कमरों की छत कुछ नीची और समतल है। फर्श पीछे उठा हुआ है। कमरों को विभाजित करने वाली बीच की दीवाल में खुली हुई एक खिड़की है। बरामदा की छत साधारण है। इसे घनाकार स्तम्भों की पंक्ति संभाले हुए हैं। Jain Education International ८६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003670
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherJoravarmal Sampatlal Bakliwal
Publication Year2006
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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