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चित्रावली का प्रारम्भ एक उड़ते हुए देव को उत्कीर्णित किया गया है। यह एक साधरण धोती पहने हुए है। पीछे से दोनों हाथों के मध्य में से उत्तरीय धारण किये हुए है। उसके दोनों छोर दोनों ओर से नीचे लटक रहे हैं। उस के एक हाथ में फूल, गोलमाला आदि से युक्त एक थाली तस्तरी है। दुसरे हाथ में कुछ खिले हुए कमल के फूल है।
पहले और दूसरे प्रवेश द्वार के मध्य में दूसरा उपखण्ड चित्रित है । इस में तीन हाथियों के झुण्ड के साथ एक पुरुष और दस स्त्रियों को भीड़ सहित द्वन्द्व युद्ध करते हुए प्रदर्शित किया गया है। पुरुष राजकीय अलंकार पहिने हुए है। उसके पास एक युवती अलंकार पहिने हुए है। हाथ के अलंकार से हाथी पर प्रहार कर रही है। उस युवती को एक महिला के द्वारा खीचते हुए दिखाया गया है।
आक्रमक हाथी से युद्ध करती हुई राजकुमारी
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तीसरे दृश्य में एक पुरूष को एक युवती के पैरों पर सिर रखे हुए दिखाया गया है। युवती उसके कंधे पर हाथ रखे हुए है। इससे प्रतीत होता है कि वह पुरूष युवती का पिता है जो गज-युद्ध में घायल हो गया है। आगे के चित्र में एक युवती और पुरुष को खड़ा हुआ चित्रित किया गया है। हथियार और ढाल से युक्त युवती का एक पुरूष के साथ युद्ध दिखलाया गया है। आगे पुरुष को युवती को गोद में लेकर भागते हुए दिखाया गया है। इससे प्रतीत होता है कि युद्ध में युवती हार गई है और उसका चहेता उस का अपहरण कर लिये जा रहा है। कि
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