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________________ इस मंदिर की आले में शान्तिनाथ की एक और मूर्ति सुरक्षीत है । उक्त मंदिर में अन्य मूर्तियाँ विद्यमान हैं। उक्त मंदिर में उन्य मूर्तियों में दो और तीर्थकरों की मूर्तियाँ है लेकिन पहचाना नहीं गया हैं। इस में ध्यानस्थ तीर्थंकर महावीर उनकी शासन देवी सिद्धायिका और त्र- षभनाथ और उनकी शासन देवी चक्रेश्वरी उत्कीर्णित है। काली मंदिर : (जयपुर) : इस में त्र- षभनाथ और उन की शासन देवी चक्रेश्वरी उत्कीर्णित है। गंगादेवी मंदिर : काली मंदिर के दक्षिण में स्थित गंगादेवी मंन्दिर में एक तीर्थंकर की मूर्ति है । जिस के चिन्ह को न समझ ने के कारण उन्हें पहिचाना नहीं गया। इन के अतिरिक्त जयपुर से लाई गई तीर्थंकर महावीर की दो प्रतिमायें रखी हुई हैं। जयपुर जिला संग्रहालय : इस में तीर्थंकर महावीर की एक मूर्ति और एक शासन देवी की मूर्ति सुरक्षित है। इस संग्रहालय में ३४ मूर्तियाँ हैं । २१ सिंगपुर, २ चारमूला, २ कोरापुट, ७ जामुण्डा और २ कमट से लाई गई हैं। सिंगपुर : यह किसी समय जैन धर्मका केन्द्र था । इस के आस-पास अत्यधिक मात्रा में एक फुट से लेकर पांच फीट तक ऊँची जैन तीर्थकरों की मूर्तियाँ दृष्टि गोचर होती हैं। छप्परियामंदिर : त्र - षभनाथ की छप्पर युक्त मंदिर में पूजा की जारही है। जगन्नाथ मंदिर : - षभनाथ की एक मूर्ति जगन्नाथ मंदिर में रखी हुई है, जिसका उपयोग ग्रामीण अपनी कुल्हाड़ी तेज (पैनी) करने में करते हैं 1 Jain Education International ५७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003670
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherJoravarmal Sampatlal Bakliwal
Publication Year2006
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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