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शिवमंदिर :
पहाड़ी की तलहटी में स्थित हैं। बहुत बड़ी मात्रा में जैन मूर्तियाँ शिव मन्दिर की दीवाल में निर्मित हैं। चारमूला और नारि गाँव :
__ सिंगपुर से चार-पांच किलोमीटर दूर स्थित इन दोनों गाँवों में भी बहुत बड़ी मात्रा में जैन मूर्तियाँ उपलब्ध हैं। जमुन्डाग्राम :
भाषणवाले छपर युक्त आदिवसियों द्वारा निर्मित इस मंदिर में सरपंच के अनुसार संख्यात गुफाओं में जैन मूर्तियों को छिपा कर रख दिया गया है। इस मंदिर में पांच तीर्थंकरों की मूर्तियाँ स्थित हैं। विद्वानों की मान्यता कि उड़ीसा का यह भाग जैनधर्म का अधिष्ठान था। सिंगपुर : (संग्रहालय)
यहाँ पर २१ जैन मूर्तियाँ रखी हुई हैं। उन में से ६ मूर्तियाँ त्र-षभनाथ की हैं। पार्श्वनाथ, अजितनाथ और महावीर की एक एक मूर्ति है। पांच एसे तीर्थंकर की मूर्तियाँ हैं जिन को अभी तक पहिचाना नहीं गया है। सात यक्ष और यक्षिणियों की भी मूर्तियाँ हैं।
बोरीगुमा ब्लक् के पाकनीगुड़ा और काथर गुड़ा ग्राम में खोदाइ करने पर जीर्णसीर्ण एक जैन मन्दिर भी उपलब्ध हुआ है। कमट:
__ जैन मूर्तियों की दृष्टि से यह क्षेत्र बहुत समृद्ध है। यहाँ दो तीर्थंकरों की मूर्तिया हैं। उन में से एक त्र-षभदेव की है।
___इसी प्रकार से गंजाम जिले में खलिकोट और कलाहांडि जिले में जूनागड़ और ढेंकानाल जिले में बालाणी और आठमल्लिक में भी जैन मूर्तिया उपलब्ध हैं।
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