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छोटे मंदिर हैं जो अण्डाकार में सटे हुए और नीचे दीवाल से घेरे हुए कतार बद्ध हैं। ले किन वे सभी क्षतिग्रस्त हैं। उन में से केवल कुछ ही अभीतक खड़े हुए हैं। मंदिरों में बने पट्टिओं पर जैन तीर्थंकर और शासन् दोवियाँ उत्कीर्णित हैं। त्र-षभनाथ की ९ मूर्तियाँ महावीर तीर्थंकर की शासन देवी चक्रेश्वरी और अजितनाथ तीर्थंकर की शासन देवी रोहिनी की एक एक मूर्ति हैं। कचेला:
यह भाखरा जल प्रपात से दश किलोमीटर और कोरापुट से पन्द्रह किलोमीटर दूर है। यहाँ पर पत्थर से बना हुआ और बहुत सुन्दर एक मंदिर और छह मूर्तियाँ हैं। गोमेध यक्ष और अम्बिका का एक पट्टिये पर और अम्बिका का एक पत्थर पर उत्कीर्णन हुआ है। त्र-षभनाथ, शान्तिनाथ, महावीर, अजितनाथ और महावीर, तीर्थंकरों की मूर्तियाँ विद्यमान हैं। बोरीगुमा :
बोरीगुमा गाँव के समीप भैरव पहाड़ी की तलहटी में स्थित भैरव मन्दिर है। इस की दीवाल में पीले रंग के पाषाण की तीर्थंकर महावीर की एक मूर्ति अन्तः स्थापित है। गोमेध यक्ष और अम्बिका यक्षिणी भी उक्त मंदिर की दक्षिणी दीवाल के आले में रखी हुई है। भगवती मंदिर :
बीशवीं सताब्दी में निर्मित जयपुर के भगवती मंदिर पर टीन का छपर हैं। इस ब्रह्मनीकल मंदिर में अनेक तीर्थंकरों की मूर्तियाँ हैं। जयपुर के इस मंदिर के गर्भ गृह में १६ भुजाओं वालि चक्रेश्वरी की बहुत सुन्दर मूर्ति है। स्थानीय निवासी इसे भगवती के रुप में पूजते हैं।
तीर्थंकरो की पंक्ति उक्त मंदिर में सुरक्षित है। स्थानिय लोग महादेव के रुप में उनकी पूजा करते है। उक्त तीर्थंकरों में से त्र-षभनाथ, शान्तिनाथ, अजितनाथ विमलनाथ की पहचान कर ली गई है।
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