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और महावीर की मूर्तियाँ बहुतायत से मिलती हैं। यहाँ उड़ीसा में ब्याप्त महत्त्वपूर्ण जैन स्मारकों की चर्चा करेंगे। यह उल्लेखनीय है कि जैन स्मारक या तो जमीन के अन्दर दवे हुए प्राप्त होते हैं और कहीं जल के अन्दर उपलब्ध होते हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मध्यकाल में मुसलमानों के आक्रमण के समय मूर्ति भंजकों से बचाने के लिए लोगों ने उन्हें जमीन के अन्दर छिपा दिया होगा। हिन्दु मंदिरों में जैन मूर्तियों का उपलब्ध होना सर्वधर्म समभाव का सूचक है, जो उड़ीसा की एक अनोखी और अद्वितीय परम्परा गत विशेषता है। प्राचीन जैन स्मारकों का दिग्दर्शन पूर्व में विभाजित जिलों के आधार पर करेंगे।
इस उपशीर्षक के कलेवर की संरचना का आधार मेरे द्वारा किये गये सर्वेक्षण के अतिरिक्त के.सी.पानिग्राही, एन.के साहु, एल.एन.साहु और आर.पी.महापात्र की उपलवध महत्वपूर्ण कृतियाँ है।
__ उड़ीसा में जैन स्मारक यों तो वर्तमान कालीन सम्पूर्ण उड़ीसा में उपलब्ध हैं। किन्तु पहाड़ी इलाकों और मैदानी इलाकों में जैन स्मारक प्रचुरता से मिलते है। निम्नांकित जिले जैन स्मारकों की दृष्टि से विशेष रूप से उल्लेखनीय है : .
१. खुर्दा जिला २. पुरी जिला ३. कटक जिला ४. केउँझर जिला ५. बालेश्वर जिला ६. म्यूरभंज जिला ७. गंजाम जिला ८. कलाहाण्डी जिला ९. कोरापुट जिला १०. ढेंकानाल जिला
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