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________________ उक्त जैन स्मारक केन्द्रो में से कोरापुट, केउँझर और म्यूरभंज जिले पहाड़ी इलाके में है । यहाँ जैन स्मारक प्रचुरता से उपलब्ध हैं। शेष जिले मैदानी इलाके में विद्यमान हैं । प्राचीनतम जैन स्मारकों के अवशेष खंडगिरि और उदयगिरि में विद्यमान हैं। प्रारम्भिक मध्यकालीन जैन स्मारक केन्द्र की दृष्टि से केउँझर और कोरापुट के जिले महत्वपूर्ण हैं। इनका विवरण निम्नांकित है। खुर्दा जिला १. २. ३. ४. २. ३. पुरी जिला १. ४. ६. ७. खंडगिरि उदयगिरि में गुम्फाऐं एवं जैन मंदिर विद्यमान हैं । पंचगाँव (जटनी रोड़) जीर्णशीर्ण बाग महादेव मंदिर में त्र - षभनाथ आदि १६० गन्धर्व और पूर्वधर आचार्यों की ८. खंडगिरि के पास आइगिनिया में त्र- षभदेव की मूर्ति है । चन्दका जंगल में पद्मासन अवस्था में किसी तीर्थंकर की मूर्ति प्राप्त हुई हैं। काकटपुर के पास विश्वामित्र मठ में त्र-षभदेव नाथ पद्मासनावस्था में विद्यमान हैं। लताहरन प्राची घाटी में गोमेध यक्ष और अम्भिका यक्षीणि विद्यमान हैं। अन्तर्वेदी मठ में नेमिनाथ तीर्थंकर की मूर्ति विद्यमान हैं । विश्वामित्र आश्रम में उक्त तीर्थंकर की मूर्ति विद्यमान हैं। भरद्वज आश्रम प्राची घाटी में भी योगासन अबस्था में तीर्थंकर की मूर्ति विद्यमान हैं। निभारन (ग्रामेश्वर शिव मंदिर), नहररोड़, काकटपुर में त्र- षमनाथ की मूर्ति विद्यमान हैं। चधीवर बालकटी के समिप में (नृसिंह मंदिर ) त्र- षमनाथ विद्यमान हैं। उदेई तुरिन्तीरा में त्र- षभनाथ, पार्शनाथ विद्यमान हैं । Jain Education International ४५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003670
Book TitleUdisa me Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalchand Jain
PublisherJoravarmal Sampatlal Bakliwal
Publication Year2006
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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