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चेदिवंश की स्थापना की थी। खारवेल ने हाथीगुम्फा शीलालेख में अपने को कलिंग में चेदिवंश की तीसरी पीढ़ी का राजा कहा है। अब प्रश्न होता है कि महामेघवाहन के पश्चात् उनका अधिकारी और खारवेल का पूर्ववर्ती कलिंग का राजा कौन था? यह एक जटिल प्रश्न है, क्योंकि खारवेल की शिलालेख में दूसरे राजा के नाम का उल्लेख नहीं हुआ है।
दूसरी वात यह है कि उक्त शिलालेख में खारवेल का उल्लेख हम उनकी पन्द्रह वर्षीय वाल्यावस्था से पाते है। इससे सिद्ध होता है कि उनका पिता का देहान्त शैशवावस्था में हो गया होगा, जिसे खारवेल ने देखा भी नहीं होगा। एन.के.साहु की मान्यता है कि उक्त शिलालेख में महाराज मेघवाहन चेतराज का उल्लेख हुआ है। अत: महामेघवाहन के पश्चात् चेदिवंश के चेतराज कलिंग के राजा हुए थे, जो खारवेल के पिता भी थे। (खारवेल पृ.२०)में कहा भी है:
The name of the son and successor of king Meghavahana is not known from the literary works referred to above the second king of the Chedi royal dynasty of Kalinga was very likely named chetaraja as known from the Hatigumpha Inscription. This king had a premature death when his son Kharvela was 15yrs of age. The young prince assumed the reins of government as Youvaraja (Crown Prince) and on completion of the 24 yrs. was anointed as king of kalinga.
पृ.१८ मे भी कहा है : “In the contest with of the record .... there can be no doubt that Kharvala who descented from two rulers belonged to the Chedi royal family of Kalinga."
__अब यह सुनिश्चित होगया की ई.पू. दूसरी और पहली सताब्दी के प्रारम्भ में कलिंग देश में चेदि वंश के राजाओं का राज्य रहा। उक्त तीनों राजाओं में खारवेल अद्भुत धीर, वीर और शौर्यशाली राजा हुए थे। पिता के अभाव में जब १५वर्ष अवस्था में युवराज बने तब तक उनकी ओर से कोई दूसरा राज्याधिकारी प्रशासन करता रहा होगा। किन्तु जैसे ही वे राज्यानुसार शिक्षा संपन्न हुए तो २४वर्ष की अवस्था में वे कलिंगाधिपति के सिंहासन पर आरूढ़ हो गये। राजा खारवेल का व्यक्तित्व उनका राज्य प्रशासनादि का विवेचन अगले शीर्षकों में किया जाएगा।
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