________________
ख) खारवेल कालीन जैनधर्म खारवेल का व्यक्तित्त्व और कर्तृत्त्व
प्राचीन काल में कलिंग विश्व का एक महान् देश था। यह देश पुरातन काल से महान् धार्मिक अन्दोलनों की उर्वरा भूमि के रूप में प्रसिद्ध रहा। जैन धर्म विश्व का सर्वश्रेष्ठ धर्म है। खारवेल कलिंग देश के एक महान् जैन धर्मानुयायी सम्राट् के रूप में विश्रुत थे। यद्यपि इतिहास के आलोड़न से ज्ञात होता है कि जैन धर्म के मानने वाले और उक्त धर्म को राजाश्रय प्रदान करने वालों में शैशुनागवंश के राजा बिन्दुसार (श्रीटिक), नन्दवंश के राजा नन्द (महापद्म नन्द), मौर्य वंश के राजा चन्द्र गुप्त और चेदिवंश के राजा खारवेल गणनीय हैं। इनमें से राजा खारवेल के हाथीगुम्फा शिलालेख के आधार पर कहा जा सकता हैं कि मौर्यवंशी राजा चन्द्रगुप्त के अलावा ऐसा कोई राजा नहीं है जिसे चेदिवंशी राजा खारवेल के साथ प्रामाणिक रूप से रखा जा सके क्यों कि जैन इतिहास में खारवेल का महान् अवदान रहा। उसके योगदान को किसी से कम नहीं वल्कि अत्यधिक और अनुपम ही समझना चाहिए।
खारवेल जैन धर्म-संस्कृति और अंग साहित्य के महान् संरक्षक, संप्रसारक और संवर्धक रूप में जाने जाते हैं। वे केवल जन्म से ही जैन राजा नहीं थे बल्कि जैनत्व को उन्होंने अपने जीवन में समाहित कर लिया था। नैतिकता के सर्वोच शिखर पर विराजमान होने के कारण वे प्रातः स्मरणीय स्तवनीय और पूजनीय हैं। उनके द्वारा किये गये मानवीय कार्यों के कारण जैन और जैनेतर उडीसावासी, प्रतिवर्ष सम्राट् खारवेल महोत्सव का आयोजन कर कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। खारवेल ज्ञापक साहित्य:
उस समय सम्पूर्ण भारतवर्ष में ऐसा कोई नहीं था, जो ई.पू. दूसरी शताव्दी में हुए सम्राट् खारवेल के शौर्य, पराक्रम, विद्वत्ता, शील और धार्मिक गुणों को नमन न करता हो और उनकी प्रशासनिक क्षमता और वैभवशाली चतुरगिणी सैना के स्मरण मात्र से काँप नही जाता हो। ऐसे महान् सम्राट् खारवेल का जन्म कब और कहाँ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org