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१५२ हे प्रभो ! तेरापंथ
८३ वर्ष बाद व बालोतरा में संवत् २०२१ में १०० वर्ष बाद आपने मर्यादा महोत्सव कराया।
विशिष्ट तपस्याएं, साधना एवं सेवा १. मौन साधना
मुनि पांचीरामजी ने लगातार छः वर्ष तक मौन रखा व साध्वी राजकुमारीजी (नोहर) १७ वर्षों से मौन हैं।
२. विशिष्ट तप
१. मुनि वृद्धिचंदजी ने 'गुणरत्न संवत्सर' तप किया। २. घोर तपस्वी मुनि सुखलालजी ने 'भद्रोतर' तप किया। ३. साध्वी भूरोंजी ने 'महा भद्रोतर' तप किया। ४. लघुसिंह निष्क्रीड़ित परिपाटी तप २५ साधु-साध्वियों ने किए, जिसमें पहली परिपाटी १३ ने, दूसरी ३ ने, तीसरी १ ने व चौथी ७ ने व आयंबिल की परिपाटी १ ने की।
३. रोमांचकारी तप १. मुनि सुखलालजी ने १८० दिन जल परिहार तप (एक दिन बिना पानी भोजन
व एक दिन चौविहार उपवास) किया । ऐसा तप पहले किया जाना सुना नहीं ___ गया। २. साध्वी भूरोंजी ने आछ (छाछ के ऊपर पानी) के आगार पर बारह (१२) माह
का, छः साध्वियों ने आछ के आगार पर छः मासी ३ ने साधिक चातुर्मासिक १ व चातुर्मासिक तप ५ ने किए । मुनि रेवतकुमार ने एक साथ बारह मास की तपस्या का संकल्प लिया पर वे १४८वें दिन दिवंगत हो गए। ३. श्राविका कला देवी ने १२१ दिन की तपस्या की। ४. साध्वी मीरोंजी ने तेरह महीने तक लगातार आयंबिल तप किया। ५. मुनि छोगमलजी ने छाछ व पानी लेकर १८० दिन व मुनि मिलापचन्दजी
ने २६० दिन, ३५० दिन व ४६५ दिन की क्रमशः तपस्या की। ६. मुनि उगमराजजी ने अब तक ३५ बार महीने-महीने (मासखमण) की मौत
तपस्या कर चुके हैं। ७. श्रावक मनोहरी देवी आंचलिया ने ३० बार महीने-महीने की (मासखमण)
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