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________________ आचार्यश्री तुलसी का युग." तपस्या की । ८. चूड़ा के लालचन्द भाई ने ३४ वर्ष से लगातार चोले ( चार दिन) की तपस्या को । १५३ ६. श्राविका गीगो देवी डूंगरगढ़ ने ४६ वर्ष एकान्तर तप किया व चम्पाबाई सालेचा बालोतरा ३४ वर्षों से एकान्तर तप कर रही हैं। १०. मुनि उगमराजजी ने उपवास से ३१ दिन तक, मुनि गुलाबचन्दजी ने उपवास से ३२ दिन तक तथा श्राविका मनोहरी देवी आंचलिया ने उपवास से ३४ दिन तक क्रमबद्ध तपस्या की । ४. दीर्घ अन्तिम अनशन १. श्राविका मनोहरी देवी छाजेड़ ने ८७ दिन व श्रावक हरकचन्दजी सुराणा ने १०३ दिन तक अन्तिम निराहार अनशन किया । २. साध्वी सन्तोकोंजी ने २० दिन, साध्वी रत्नवतीजी ने २२ दिन व साध्वी पिस्तोंजी ने २४ दिन का अन्तिम निर्जल निराहार अनशन किया ।। कला, शिक्षा, साहित्य, अवधान, शोध आदि का विकास १. कला आपके शासनकाल में चित्रकला, शिल्प कला, रंग रोगन, सिलाई का विकास हुआ । पात्र, प्याले, टोपसी का निर्माण व उन पर सूक्ष्म चित्रकारी व लिपि, ऐतिहासिक स्थलों के हस्त कौशल चित्र एवं बोध गम्य सुन्दर चित्र बने । साहित्य सुरक्षा हेतु पेटियां, चश्मे, चश्मे के फ्रेम, लैंस, लैंस मीटर, घड़ी, जल घड़ी, टाइम - पीस, दूरबीन आदि वस्तुएं लकड़ी, कार्ड बोर्ड व प्लास्टिक से बनाई गईं। Jain Education International २. शिक्षा साध्वियों की शिक्षा परा पूरा ध्यान दिया गया । आज अनेक साधु साध्वी संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, तमिल, बंगला भाषा के “प्रवक्ता, लेखक, अध्येता, कवि, आशुकवि, अनुसन्धानकर्ता व सम्पादक हैं । अनेक साधु शतावधानी और सहस्र विधानी हैं। आपके, युवाचार्यश्री के व अन्य साधुसाध्वियों द्वारा सृजित विपुल मात्रा में उच्च स्तरीय धर्म, दर्शन, योग, मनोविज्ञान • आदि विषयों पर साहित्य की सर्वत्र बौद्धिक जगत में प्रशंसा है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003668
Book TitleHe Prabho Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanraj Kothari
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1989
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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