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________________ आचार्यश्री तुलसी का युग' १५१ मगनलालजी को खास रुक्का (मंत्री पद सहित तेरह बख्शीशें) प्रदान किया। इतनी बख्शीशें किसी आचार्य ने अब तक किसी को नहीं दीं। आपने अनेक अवसरों पर कई साधुसाध्वियों तथा श्रावक श्राविकाओं को विशेष विशेषणों से सम्बोधित किया। आपने जयाचार्य निर्वाण शताब्दी पर श्रीमद् जयाचार्य से लगाकर अब तक के १२ साधुओं को 'शासनस्तंभ' की उपाधि से सम्मानित किया। विशाल विहार क्षेत्र १. आपने स्वयं वृहत् श्रमण संघ के साथ भारत के अधिकांश राज्य राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार, उड़ीसा, बंगाल, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल प्रदेश में विहरण कर एक लाख किलोमीटर से अधिक यात्रा की। २. आपके शासनकाल में उपरोक्त राज्यों के अतिरिक्त आपके अनुगामी साधु___ साध्वियों ने असम, सिक्किम, गोआ, काश्मीर, पांडीचेरी तथा विदेश में नेपाल, भूटान की यात्रा की। ३. आपने निम्नलिखित नये स्थानों पर चातुर्मास व महोत्सव किए चातुर्मास राजगढ़ (२००३), हांसी (२००७), दिल्ली (२००८, २२,३१,३८,४४), बंबई (२०११), उज्जैन (२०१२), कानपुर (२०१५), अहमदाबाद (२०२४), मद्रास (२०२५), बैंगलोर (२०२६), रायपुर (२०२७), हिसार (२०३०), लुधियाना (२०२६), राणावास (२०३९), में नये व राजनगर में १६८ वर्ष बाद व बालोतरा में १७३ वर्ष बाद तथा आमेट में १७६ वर्ष बाद आपने आचार्यों का चातुर्मास किया। मर्यादा महोत्सव ब्यावर (१९९३), गंगाशहर (१९६४, २०००, २०२८, २०३८), भिवानी (२००७), राणावास (२०१०), बंबई (२०११, २४), भीलवाड़ा (२०१२), सेंथिया (२०१५), आमेट (२०१७), भीनासर (२०१८), राजनगर (२०१६), हिसार (२०२२), चिदम्बरम् (२०२५), हैदराबाद (२०२६), मोमासर (२०२८), दिल्ली (२०३०), पडिहारा (२०३३), संगरूर (२०३६), नाथद्वारा (२०३९), जसोल (२०४१) में, नये मर्यादा महोत्सव मनाए व संवत् २०४२ में उदयपुर में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003668
Book TitleHe Prabho Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSohanraj Kothari
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1989
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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