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लोकाशाह ने क्या किया ?
करती है । इसी कारण पापड़, वडियों करने वाली श्राविकाएँ अपने घर का द्वार बन्द रखती हैं उनको इस बात का भय रहता है कि कदाचित् ऋतुमती आर्या घर में न घुस जाय ? इत्यादि । यह लौंकाशाह ने तेरहवाँ काम किया ।
(१४) जैनधर्म में सूवा सूतक ( जन्म मरण वाले ) के घर का आहार लेने की सख्त मनाई होने पर भी तेरह० स्था० ऐसे घरों का आहार पानी और जापा के लड्डू तक भी बहर लेते हैं । इससे अर्जेन लोग जैन धर्म की निन्दा करते हैं । यह लौंकाशाह ने चौदहवाँ काम किया ।
(१५) जैनाचार्यों ने जैनों की शुद्धि कर जैन बनाने की एक ऐसी मशीन कायम की कि जिसके जरिये दो हजार वर्षों में करोड़ों मनुष्यों की शुद्धि कर जैन बना लिये । पर लौंकाशाह के संकुचित विचार, मलीन क्रिया, रूक्ष दया तथा गृह क्लेश के कारण यह मशीन (मिशन) बिलकुल बन्द होगई । यह लौकाशाह ने पन्द्रहवाँ काम किया ।
(१६) लौकाशाह के अनुयायियों या स्था० की मलीन क्रिया का जनता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। जो लोग जैन साधुओं को बड़े आदर सत्कार की दृष्टि से देखते थे वे ही ढूंढियों को देख कर कहने लगे :
"लम्बी लकड़ी लम्बी डोर, आया ढूँढिया पक्का चोर ।”
अर्थात् - लौं० स्था० ने जैनों का महात्म्य घटा दिया । जैनाचार्यों ने अपने उपदेश रूपी चमत्कारों से राजा महाराजाश्र से सम्मान प्राप्त किया था । उस पर भी इन लोगों ने पड़दा डाल दिया । यह लौंकाशाह ने सोलहवाँ काम किया ।
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