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प्रकरण चौबीसवाँ
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पधारते हैं तो आठ दिन में ही सैकड़ों हजारों का धुआँ कर देते हैं । और इस कार्य में भाग लेने वालों को कोटिशः धन्यवाद और धर्मिष्ट भाग्यशाली बताया जाता है ।
शेष में हम और कुछ विशेष न लिख उपसंहार रूप में इस सारे विवेचन का सारांश "लौंकाशाह ने क्या किया ?” लिखेंगे जिसके लिए पाठक पचीसवें प्रकरण की राह देखें ।
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