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________________ में तीन हाथी थे, बीस ऊँट थे, पच्चीस घोड़े थे, तंबू थे और १३० वर्ष की आयुष्य के वयोवृद्ध महंत थे ! सर पर बड़ी जटा थी, लंबी दाढ़ी थी, शरीर कौपीन था, बड़ी-बड़ी आँखें थी और आंखों में से तेज धारा बहती थी । केवल दूध का आहार लेते थे । श्री रामनाम का अखंड जाप करते थे । उनका तंबू अलग था, उनकी अग्नि भी अलग थी । __ मध्यरात्रि का समय था । पीपली का माधोजी घर से निकला । उसको मालुम हो गया था कि इन नंगे बाबाओं की जमात में एक लक्षणवंती तेजन घोड़ी है । वह घोड़ी की चोरी करने उधर पहुँचा । तेजन घोड़ी की अनेक विशेषताएँ होती हैं । वह घोड़ी गुरुमहंत के तंबू के पास मजबूत रस्सी से बाँधी हुई थी । उस घोड़ी की चोरी करने माधोजी वहाँ पहुँचा । वह जमीन पर सो गया और साँप की तरह जमीन पर सरकने लगा। घोड़ी की ओर आगे बढ़ने लगा। वृक्षों की घटा थी। प्रगाढ़ अंधकार था । माधोजी घोड़ी के पास पहुंचा था । पाँच-सात हाथ दूर होगा, और घोड़ी ने उसको देख लिया ! घोड़ी ने जोर से हण...ण...ण...ण... की आवाज लगाई । घोड़ी की आवाज सुनकर महंत जाग्रत हो गये। उन्होंने घोड़ी की ओर सरकते हुए माधोजी को देख लिया। वे सारी परिस्थिति को समझ गये । दूसरी ओर से पड़ाव को रक्षा करनेवाले दो महाकाय नंगे बाबा भी घोड़ी की आवाज सुनकर उसकी तरफ दौड़ते आये । परंतु महंत ने उनको वापिस अपनी जगह जाने का आज्ञा दे दी। वे चले गये । महंत खड़े हुए । महंत ने दूसरी आवाज लगाई माधोजी को। 'बच्चा , इधर आ जा ! उस गंभीर और प्रभावशाली आवाज ने माधोजी की सारी शक्ति को हर लिया। जिस प्रकार मांत्रिक, गारुडी एक ही आवाज से महामणिधर नागराज को बाँध लेता है वैसे महंत की आवाज सुनते ही माधोजी खड़ा हो गया। महंत की दूसरी आवाज आयी – बेटे, घबरा मत, इधर आ जा!' माधोजी महंत के तंबू के पास गया । तंबू के द्वार पर महंत खड़े थे । पूरे शरीर पर भभूत लगी थी। सर पर बड़ी जटा थी। आँखों में तेज था, करुणा थी ! महंत ने माधोजी के कंधे पर हाथ रखा और बोले : क्या तुझे यह घोड़ी चाहिए ? जिनका मुख देखने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, जिनके स्पर्श से पूर्वकालीन कर्मों का क्षय हो जाता है और जिनका वचन सुनने से मन का मोह मिट जाता | ४८ शान्त सुधारस : भाग १ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003661
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherVishvakalyan Prakashan Trust Mehsana
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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