SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ है । अब कुछ ही वर्ष पूर्व की बंबई में घटी एक भयंकर घटना की बात करता कमांडर नाणावटी और प्रेम आहुजा : इ. स. १९५९ की यह घटना है । 'ट्र स्टोरीझ ऑफ स्ट्रेंज मर्डर्स इन इन्डियां पुस्तक में क्रिमिनोलोजिस्ट डॉ. एस. दत्त ने यह किस्सा लिखा है । ___ कमांडर कावसजी नाणावटी, भारतीय नौकादल में न्यूक्लियर सायंस्टिस्ट के पद पर नियुक्त I.N.S. मायसोर-जहाज पर केप्टन थे । एक बार जब वे इंग्लेन्ड गये, वहाँ सिल्विया नाम की फ्रेन्च युवती के साथ कमांडर की पहचान हुई और १९४९ में इंग्लैंड के पोर्ट्समाउथ नाम के शहर में नाणावटी और सिल्विया ने शादी कर ली। शादी के १० वर्ष में तीन संतान के माता-पिता बने। शादी की दसवीं लग्नतिथि आने से कुछ दिन पूर्व जिंदगी का एक खतरनाक मोड आया । उनके संसार में तीसरे व्यक्ति का प्रवेश हुआ । उसका नाम था प्रेम आहुजा । बंबई के नेपियन्सी रोड पर, जीवनज्योत' नाम के बिल्डिंग में वह रहता था । वह ३४ वर्ष का अविवाहित युवक था। वह युनिवर्सल मोटर्स नाम की पेढी का मालिक था और विलिस जीप का विक्रेता था । नाणावटी दंपती के साथ प्रेम आहुजा का परिचय हुआ । नाणावटी को आहुजा का रंगीन स्वभाव पसंद आ गया। दोस्ती हो गई। एक-दूसरे के घर आना-जाना शुरू हो गया । नाणावटी को कहाँ मालुम था कि आहुजा एक दिन दोस्ती की पीठ में खंजर भोंक देगा ! __ प्रेम आहुजा सौन्दर्य का प्रेमी था । कमांडर नाणावटी की पत्नी सिल्विया भी बहुत सुंदर स्त्री थी। दोनों के बीच अनैतिक प्रेमसंबंध बंध गया । एक बार आहुजा ने बात-बात में अपनी बहन को कह भी दिया कि यदि नाणावटी उनकी पत्नी को तलाक दे दे तो मैं उसके साथ शादी करने तैयार हूँ। हालाँकि सिल्विया कमांडर को तन-मन से चाहती थी। पति के साथ बेवफाई करने की कल्पना तक वह कर सकती नहीं थी। दूसरी ओर, आहुजा सिल्विया के अलावा कुछ सोच भी नहीं सकता था। वह सिल्विया को अपनी बना लेने के लिए मौका खोजता था । ___ एक दिन आहुजा को वैसा मौका मिल गया। कमांडर नाणावटी कुछ दिनों के लिए बाहरगाँव गये । सिल्विया घर में अकेली थी । आहुजा ने उसके साथ अनैतिक शारीरिक संबंध बांध लिया। एक बार अधःपतन की गहरी खाई में गिरने के बाद सिल्विया ने अपने मुँह पर मौन का ताला लगा दिया। उसको अनिच्छा से भी आहुजा की इच्छा को वश होना पड़ता था। वह मनोमन प्रार्थना एकत्व-भावना २४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003661
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherVishvakalyan Prakashan Trust Mehsana
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy