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________________ पुत्रियों की शादी-संरक्षण आदि की चिंता सताती रहती है । * पुत्री बड़ी होने पर भी उसकी शादी नहीं होती है, शादी होती है तो वर मूर्ख दुराचारी और उग्र दिमाग का होता है...तब लड़की को और उसके माता पिता को सदैव चिंता, परेशानी बनी रहती है। * किसी को पुत्री अपंग, अंधी और गूंगी होने से उसको वर नहीं मिलता है, तो बहुत चिंता बनी रहती है । * किसी की माता, पत्नी, पुत्री अथवा बहन गलत रास्ते पर जाती है, व्यभिचारी बनती है, तो घोर चिंता-परेशानी बनी रहती है। * किसी को लोभी, दोषग्राही, अन्यायी, क्रोधी, नीच और मूर्ख श्रीमंत की नौकरी सर्विस करनी पड़ती है, तो पग-पग पर पराभव-अपमान सहन करने पड़ते हैं । * वैसे किसी सेठ को कृतघ्नी, मूर्ख, अप्रामाणिक नौकर-सेवक होता है, तो उसको कदम-कदम पर परेशानी भोगनी पड़ती है । इस प्रकार असंख्य प्रकार की परेशानियाँ संसार में जीवों को भोगनी पड़ती है । ऐसे संसार में शान्ति कहाँ ? समता कहाँ ? संपत्ति में गर्व, दरिद्रता से दीन-हीन : __ पाँचवी बात है गर्व की और दीनता-हीनता की । संसार में हम प्रत्यक्ष देखते हैं कि धनवान निर्धन हो जाता है और निर्धन धनवान हो जाता है । धनवान जब निर्धन बन जाता है तब वह दीन-हीन बन जाता है, निर्धन जब धनवान बनता है तब अभिमानी बन जाता है । अभिमानी धनवानों को देखे हैं न आपने ? वे जमीन से ऊपर चलते हैं । न माता-पिता की इज्जत करते हैं, न ही गुरुजनों की आज्ञा मानते हैं । उपकारीजनों का भी तिरस्कार कर देते हैं । इतना ही नहीं, धनवानों को सभी प्रकार के सुख होते हैं, ऐसा नहीं मानना । उनको असंख्य प्रकार की चिंताएँ सताती रहती हैं । धन-संपत्ति की रक्षा की चिंता, सबसे बड़ी चिंता होती है । पारिवारिक चिंताएँ भी सताती रहती हैं । शरीर भी कोई न कोई रोग से घिरा हुआ रहता है...इसलिए वे भीतर से अपने आपको दुःखी ही समझते कर्मपरवशता : संसार की सभी परेशानियों का मूल कारण है कर्मपरवशता ! चारों गति में जीवों की कैसी कर्मपरवशता होती है - इस बात का चिंतन करना चाहिए । | संसार भावना २१९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003661
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherVishvakalyan Prakashan Trust Mehsana
Publication Year
Total Pages302
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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