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________________ ३२ विषय ८. तर्कसे अविनाभाव का निश्चय और अर्थापत्ति के प्रामाण्यका समर्थन .... बनने की आशंका और उसका समा कारिका Jain Education International २३ उसका निराकरण २१-२३ १०. वेदपौरुषेयत्वसिद्धि १-३६ १०. शब्दको पौद्गलिक १. मीमांसकोंद्वारा सर्वज्ञाभावकी आशंका २. उसका निराकरण ३. पदवाक्यात्मकत्वहेतुद्वारा वेद के पौरुताकी सिद्धि स्वीकार करनेमें मीमांसकों द्वारा एकश्रोत्रप्रवेशादि दोषों की आशंका और उनका निरकरण २४-२६ ११. अध्ययनपूर्वकत्वहेतु द्वारा वेद में अपौरुयताकी सिद्धि और उसका निराकरण २५-३० ३ ४. वर्णनित्यताका खंडन ४-५ ५. प्रत्यभिज्ञासे वर्णोंको नित्य सिद्ध करने में दोषप्रदर्शन ६. वर्णों को नित्य न माननेपर संकेत न ६-१२ १२. अस्मरण हेतु द्वारा अपौरुषेयताकी सिद्धि और उसका .... धान ७. नित्य - व्यापि समान्यका खंडन स्याद्वादसिद्धि - १३-१६ ८. सादृश्यात्मक सामा न्यकी सिद्धि और उसी में संकेतकी **** १ १७-१६ विषय उपपत्ति ६. सादृश्य में संकेत मानने में दोषाशंका और .... कारिका २० सविस्तर खंडन ३१-३६ १-२८ ११. परतः प्रामाण्यसिद्धि १. मीमांसकोंके स्वतः For Private & Personal Use Only ... प्रामाण्यवादका निराकरण और अप्रामाख्यकी तरह परतः प्रामाण्यकी सिद्धि **P* १० www.jainelibrary.org
SR No.003653
Book TitleSyadvadasiddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Nyayatirth
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1950
Total Pages172
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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