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________________ विषय-सूची ३१ विषय कारिका विषय कारिका ७. जगत्कत त्वाभावसिद्धि१-२२ ६. अर्हद्वाक्यके अप्रामाण्य १. सोपाय सर्वज्ञकी सिद्धि १-२ की आशंकाका निरा२. बुद्धादिके वक्तृत्वा करण और उसके भावका प्रदर्शन ३-७ प्रामाण्यकी सिद्धि १६-२१ ३. निरुपाय 'अथवा अर्थापत्तिप्रामाण्यसिद्धि१.२३ सोपाय ईश्वरके १.सर्वज्ञसाधक अर्थावक्तृत्व और सर्व पत्तिकी प्रमाणता .... १ ज्ञत्वका आभाव -६ | २. अथवा अर्थापत्ति ४. ईश्वरके जगत्कर्तृ. अनुमान ही है ....२-४ त्वका भी अभाव १०-२२ ३. दृष्टान्तके बिना भी ८. अर्हत्सर्वज्ञसिद्धि १-२१ पक्षमें ही अविना१. अहत्सर्वज्ञ साधक अनु भावका निर्णय ५-११ ___ मानका प्रदर्शन .... १ ४. साध्यज्ञानके बिना २. वक्तृत्वहेतु द्वारा अह साध्य-साधननिष्ठ त्सर्वज्ञताके अभाव अविनाभावके अनिकी आशंका और उस श्चयकी आशंका और का निराकरण " २-७ उसका निराकरण १२--१५ ३. इच्छाके अभाव में ५. तकसे व्याप्तिका भी वीतरागके वक्त निर्णय "" १६ .. त्वकी सिद्धि ..." ८- ६. साध्यका ज्ञान अन्य ४. वीतरागके निर्दोष वादियोंको भी पक्ष . इच्छाका स्वीकार .... १० में ही स्वीकार करना ५. पुरुषत्वादि हेतु भी चाहिए अर्हत्सर्वज्ञताके बाधक ७. अन्ताप्तिसे ही सानहीं हैं ... ११-११ धन गमक होता है १८-२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003653
Book TitleSyadvadasiddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Nyayatirth
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1950
Total Pages172
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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