________________
राय धनपतसिंघ बादाउरका जैनागम संग्रह नाग उसरा. एG दिक प्राशन नासन (जाण के ) पालखीप्रमुख ( वाहणाइ के० ) गाडी घोडादिक तेणेकरीने बाकीर्ण (बदुधण के) घणो धन (बहुजातरूव के० ) घणो सु वर्ण (रतए के०) घणो रजत एटले रुपु (बानगपनगसंपनत्ते के० ) अर्थ जान बम णा बमणादिक तेहवो नपाय व्यापारादिक तेणे करी संयुक्त (
विडियपनरनत्तपाणे के०) घणा नात पाणी लोक जमे विशेषे देवरावे (बहुदासीदास के ० ) घणा दासी तथा दास (गोके०) वृषन (महीस के०) नेंस (गवेलग के०) गाय गेटी गाम रा बकरी ते (प्पनूते के०) प्रनूत एटले घणा वली (पडिपुरम के० ) प्रतिपूर्ण (कोसके) लक्ष्मीना नंमार (कोहागारा के) धानना नंमार (नागारे के०) खड्ग त्रिसूल नालादिकना नंमार (बलवं के०) पोते बलवंत (उब्बल के) उर्व ल (पवामिए के०) वैरी जेना (नहतकंटयं के) विणास्या समस्त गोत्री जेणे (मलियकंटयं के०) दि अपहारीने मान नंग कीधाडे गोत्री जेणे ( उहयकंटयं के०) उद्देश थकी काढ्याने गोत्री जेणे (निहयकंटयं के०) जेणे गोत्रीने हराव्याडे (अकंटयं के०) प्रतिमल वैरो रहित (उहयसत्तूके) विणास्याने शत्रू जेणे (निहियस तूके) जेणे शत्रुने हराव्याले (मलियसत्तूके) दि अपहरीने मान नंग कस्याले वैरी जेणे (नझियसत्तुके०) उद्देश थकी कढाध्याले वैरी जेणे (निङियसत्तुके०) विशेष थकी जीत्याने वश कस्याले वैरी जेणे (पराश्यसत्तू के० ) तेना राज्यने लेवे करी पराजय प माड्याने शत्रु जेणे वली (ववगय के०) वपगत एटले गयाजेना राज्यने विषे झुं ग याने ते कहे (सुप्निरकके०) उकाल उर्निद (मारिके० ) देवादिकना करेला मारी मर कीना जय (जयके०) वैरीना नय थकी (विप्पमुक्कं के०) रहित (रायवन्नउके०) एरीते रा जामु वर्णन (जहाउववाइए के०) जेम उववाइ सूत्रमा वर्णन करो तेना सरिखो (जा वपसंत के० ) ज्यांलगे उपशमाव्याचे (किंबममरंरऊं के०) स्वचक्र परचक्रना नय ज्यां नथी एवो राज्य (पसाहेमाणे के० ) पालतो थको (विहरति के०) विचरे (त स्तरन्नो के०) हवे तेराजानी (परिसानवंति के०) परषदा केवी होए ते कहे. (नग्गानग्गपुत्ता के० ) उपकुलना उपना ते उग्रकुलना पुत्र (नोगानोगपुत्ता के०) जोगकुलना नपना ते नोगकुलना पुत्र (इस्कागारकागाइ के०) श्रीयादीश्वरनो वंश जे इदवाग तेना उपना ते इक्ष्वागवंशना पुत्र (नायानानायानाके०) छातकुलना नपना ते झातकुलना पुत्र (कोरबाकोरवा के०) कौरवकुलना उपना ते कौरवकुलना पुत्र (जहान दृपुत्ताके) सुनटकुलना उपना ते सुनटना पुत्र (माहणामाहणपुत्ताके०) ब्राह्मणकुलना उपना ते ब्राह्मणना पुत्र (बश्लेइपुत्ताके)लबाधिपति वणिक् जाति विशेष तेना पुत्र (पसबारोपसबारोपुत्ता के०) घणो जेने घरे लदमीनो विस्तार होय तेने घेर उपना ते
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org