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द्वितीये सूत्रकृतांगे द्वितीय श्रुतस्कंधे प्रथमाध्ययनं.
पुवेणं के० ) अनुक्रमे (लोगं के ० ) लोकपणे ( नववन्नाके०) उपना बे (तंजहा के० ) देखाडे (यावेगे के०) एक प्रार्य मनुष्यते साढा पचीश देशना उपना (श्रणा रियावेगे के० ) एक धनार्य देशना उपना ते संग यवन सबर बब्बरादिक जाणवा ( उच्चा गोतावेगे के० ) एक उंचगोत्रना उपना ( लीयागोयावेगे के० ) एक नीचगोत्रना उपना ( का मंतावेगे के०) एक लांबा दीर्घ काय वाला ( रहस्समंतावेगे के० ) एक -हस्व न्हानी काय वाला (सुवन्नावेगे के०) एक रुडा वर्ण वाला (डुवन्नावेगे के ० ) एक माठा वर्ण वाला ( सुरूवावेगे के० ) एक जना रूपवाला ( रूवावेगे के० ) एक माठा रूपवाला (ते सिंच मणुयाणं के० ) ते मनुष्य मांहे वली ( एगेरायानवर के ० ) एक राजा होय ते राजा केवोहोय तोके ( महया हिमवंत के० ) महोटो हिमवंत (मलय ho) मलयाचल (मंदर के० ) मेरुपर्वत ( महिंद के० ) महेंद्र एनी पेरे जेनु ( सारे के ० ) सामर्थ्य (चंत विसु ६ राय कुलवंस प्पस्ते के ० ) अत्यंत निर्मल दोष रहित राजा तु कुल उत्तम क्षत्रीयनो कुल तेने विषे जन्म पाम्याबे ( निरंतररायलकण के० ) यां तरा रहितजे राजाना लक्षण तेणेकरी ( विराइयंगमंगे के० ) बिराजमान एटले शोना यमानले शरीरमा अंगोपांग जेना ( बहुजण के० ) घणालोक ( बहुमाण के० ) घणो मान पीने (पूए के० ) पूजेबे ( सवगुणस मिदे के० ) समस्त राजाना जे गुणबे तेणेकरी समृद्धिवान एटले संपूर्ण ( खत्तिएके० ) छत्रिय जातवंत ( मुदिए के० ) स काल प्रमोद सहित ( मुद्दानिसित्ते के० ) मातापितादिक परिवार मलीने राजा निषे क कीधोने ( मानपि सुजाए के० ) माता पिता सुजातवंत अथवा माता पितानो सुविनीत सुपुत्र (देयप्पिए के० ) वल्लन तथा करुणाना गुणे करी सहित (सीमंकरे ho) मर्यादान करनार (सीमंधरे के०) मर्यादानो धरनार ( खेमंकरे के० ) कल्याण ) नो करनार उपवनो टालनार (खेमंधरे के०) कल्याणनो धरनार ( मपुस्सिंदे के० ) मनुष्यनुं इंड् ( जणवयपिया के० ) जनपद एटले देशना लोकने पिता समान (जल arपुरोहिए के० ) जनपद एटले देशना लोकने शांतिनु करनार उपवनुं निवारक (से
करे के ० ) मार्गनो देखाडनार ( केनकरे के० ) अद्भुत कार्यनो करनार (नरपवरे के ० ) मनुष्य मांहे प्रधान ( पुरिसपवरे के० ) पुरुषमांहे प्रधान ( पुरिससीहे के० ) पुरुष मांहे सिंह समान (पुरिसयासी विसे के० ) पुरुष मांहे याशीविष सर्प समान थ पराध खमे नही ( पुरिसवरपोंम रोए के० ) पुरुष मांहे प्रधान पुंमरीक कमल समान (पुरिसवरगंधही के० ) पुरुष मांहे प्रधान गंध हस्ति समान ( हे के० ) धन धा न्यादिके परिपूर्ण ( दित्ते के० ) दीपता (वित्ते के ० ) पहोला ( विविन्न के० ) विस्तीर्ण एवा (विल के० ) विपुल एटले घणा ( नवण के ० ) घर ( सयणासा के० ) पल्यंका
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