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राय धनपतसिंघ बादाडुरका जैनागम संग्रह नाग दुसरा. ԱՃԱ इह खलु पाईांवा पडीवा नदीांवा दा दिवा संतेगतिया मपुस्सा न वंतिपुवेणं लोगं नववन्ना तं जदा च्यारियावेगे प्रणारियावेगेन च्चागोत्तावेगे पीयागोयावेगे कायमंतावेगे रहस्समंतावेगे सुवन्नावेगे 5 बन्नावेगे सुरूवावेगे रूवावेगे तेसिंचणं मणुयाणं एगे राया नवइ मयादिमवंतमलयमंदरम हिंदसारे अनंत विसुधराय कुलवंसप्पसूते निरंतररायलकाविराइयंगमंगे बहुजणबहुमाणपूइए सबगुणस मि खत्तिए मुदिए मुद्दानिसित्ते मानपिनसुनाए देय पिए सीमंकरे सी मंधरे खेमंकरे खेमंधरे मस्सिदे जणवयपिया जणवयपुरोदिए सेनक रे केकरे नरपवरे पुरिसपवरे पुरिससीदे पुरिसच्यासीविसे पुरिसवर परी पुरिसवरगंधची हे दित्ते वित्ते विभिन्न विलनवासय पास जाणवाद इसे बहुध बहुजातरूवरत आगपगसंपन ते विवडियपनरनत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसगवेल गप्पनूते प डिपु कोसको धागारानागारे बलवं बल्लपचामिए नहयकंटयं म लियकंटयं नदयकंटयं निदयकंटयं प्रकंटयं उदयसत्तू निदयसत्त मलि यसत्तू धियसत्तू निकियसत्तू पराइयसत्तू ववगयनिक मारिनेयवि मुक्कं रायवन्नन जहानववाइए जावपसंतम्बिममरर पसादेमाणे विदरंति तस्स रन्नो परिसा नवइ नग्गा नग्गपुत्ता जोगा जोगपु त्ता इस्कागाइ इकागाइ नायना नायना कोरवा कोरवा नट्ठा नहपुत्ता मादणा माहणपुत्ता लेच्छ लेख पुत्ता पसारो पसारोपुत्ता सेणाव सेणावपुत्ता ॥ १३ ॥ तेसिंचणं एगतीए सड्डूानवइ कामतं समणावा माहणावा संपदारिंसु गमणाए तब अन्नतरे धम्मेणं पन्नत्तारोवयं इ म्मे धम्मेणं पन्नवइस्सामा सेएवंमायागढ़ जयंतारो जेहामए एस धम्मे सुयकाए सुपन्नते नवइ ॥ १४ ॥
अर्थ - ( इहख लुके ० ) ए मनुष्य लोक मांहे खलुइति वाक्यालंकारे (पाई वा के०) पूर्व दिशि (पडीवा के ० ) पश्चिम दिशि (नदीवाके ० ) उत्तरदिशि (दादिवाके ० ) ददिशि ए चार दिशि अथवा विदिशिए (संतेगतियामणुस्सानवंतिके०) कोइ एक मनुष्य होय ते (पु
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