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दूसरा प्रश्न कर्त्ता का है । 'आवश्यक सूत्र' के कर्ता कौन व्यक्ति हैं ? उसके कर्ता कोई एक ही आचार्य हैं या अनेक हैं ? इस प्रश्न के प्रथम अंश के विषय में निश्चितरूप से कुछ नहीं कहा जा सकता; क्योंकि इस का स्पष्ट उल्लेख कहीं नहीं मिलता । दूसरे अंश का उत्तर यह है कि "आवश्यक सूत्र किसी एक की कृति नहीं है । अलबत्ता यह आश्चर्य की बात है कि संभवतः 'आवश्यक - सूत्र' के बाद तुरन्त ही या उस के सम-समय में रचे जाने वाले दशैवैकालिक के कर्तारूप से श्रीशय्यंभव सूरि का निर्देश स्वयं श्रीभद्रबाहु ने किया है ( दशवैकालिक - नियुक्ति, गा० १४-१५); पर 'आवश्यक सूत्र' के कर्ता का निर्देश नहीं किया है । श्रीभद्रबाहु स्वामी नियुक्ति रचते समय जिन दस आगमों के ऊपर नियुक्ति करने की प्रतिज्ञा करते हैं, उन के उल्लेख में दशैवैकालिक के भी पहले 'आवश्यक' का उल्लेख है' । यह कहा जा चुका है कि दशवैकालिक श्रीशय्यंभव सूरि की कृति है । यदि दस आगमों के उल्लेख का क्रम, काल-क्रम का सूचक है तो यह मानना पड़ेगा कि 'आवश्यक सूत्र' श्रीशय्यंभव सूरि के पूर्ववर्ती किसी अन्य स्थविर की, किंवा शय्यंभव सूरि के समकालीन किन्तु उन से बड़े किसी अन्य स्थविर की कृति
"आवस्सस्स दसका, -लिअस्स तह उत्तरज्झमायारे । सूयगडे निज्जुत्ति, वच्छामि तहा दसाणं च ॥ ८४ ॥ कप्परस य निज्जुत्तिं ववहारस्सेव परमणिउणस्स । सूरि अपण्णत्तीए, वुच्छ इसिमासिआणं च ॥ ८५ ॥ "
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