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(४) "अभिमान, गर्व, मरे हुए लोगों की निन्दा करना, लोभ, लालच, बेहद गुस्सा, किसी की बढ़ती देख कर जलना, किसी पर बुरी निगाह करना, स्वच्छन्दता, आलस्य, कानाफूसी, पवित्रता का भङ्ग, झूठी गवाही, चोरी, लूट-खसोट, व्यभिचार, बेहद शोक करना, इत्यादि जो गुनाह मुझ से जानते-अनजानते हो गये हों और जो गुनाह साफ़ दिल से मैं ने प्रकट न किये हों, उन सब से मैं पवित्र हो कर अलग होता हूँ।" [खो० अ०, पृ० २३-२४ ।। .. (१) “शत्रवः पराङ्मुखाः भवन्तु स्वाहा ।"
बृहत् शान्ति । (२) "काएण काइयस्स, पडिक्कमे वाइयस्स वायाए। मणसा माणसियस्स, सव्वस्स वयाइयारस्स॥"
[वंदित्तु । (३) “सर्वमंगलमांगल्यं, सर्वकल्याणकारणम् ।
प्रधानं सर्वधर्माणां, जैनं जयति शासनम् ॥" . (४) "अठारह पापस्थान ।”
'आवश्यक' का इतिहास । - 'आवश्यक-क्रियाः-अन्तर्दृष्टि के उन्मेष व आध्यात्मिक जीवन के आरम्भ से 'आवश्यक-क्रिया' का इतिहास शुरू होता है। सामान्यरूप से यह नहीं कहा जा सकता कि विश्व में आध्यात्मिक जीवन सब से पहले कब शुरू हुआ। इस लिये 'आवश्यक-क्रिया' भी प्रवाह की अपेक्षा से अनादि ही मानी जाती है।
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