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प्रतिक्रमण सूत्र ।
५०-पोसह पारने का सूत्र । 1 सागरचंदो कामो, चंदवडिसो सुदंसणो धन्नो । जेसिं पोसहपडिमा, अखंडिआ जीविअंतेवि ॥१॥ धन्ना सलाहाणज्जा, सुलसा आणंदकामदेवा य। जास पसंसइ भयवं, दढव्वयत्तं महावीरो ॥२॥
पौषधव्रत विधि से लिया और विधि से पूर्ण किया। तथापि कोई अविधि हुई हो तो मन, वचन और काय से मिच्छा मि दुक्कडं ।
भावार्थ-'सागरचन्द्र कुमार', 'कामदेव', 'चन्द्रावतंस' नरेश और 'सुदर्शन' श्रेष्ठी, ये सब धन्य हैं; क्यों कि इन्हों ने मरणान्त कष्ट सह कर भी पौषधत्रत को अखण्डित रक्खा ॥१॥ ___'सुलसा' श्राविका, 'आनन्द' और 'कामदेव' श्रावक, ये सब प्रशंसा के योग्य हैं; जिन के दृढ-व्रत की प्रशंसा भगवान् महावीर ने भी मुक्त-कण्ठ से की है ॥२॥
सागरचन्द्रः कामश्चन्द्रावतंसः सुदर्शनो धन्यः । येषां पौषध प्रतिमाऽखण्डिता जीवितान्तेऽपि ॥१॥ धन्याः श्लाघनीयाः, सुलसाऽऽनन्दकामदेवौ च ।
येषां प्रशंसति भगवान् , दृढव्रतत्वं महावीरः ॥२॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only
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