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प्रथमखम. बामेंसे कबु समान दोटुको मांसके काढने पीने संपूर्ण काढनी और जानुसे ढाल समान दो टुकमे मांसके काढने और इन पांगुलीयोमेंसें अनुक्रमसें २६ ग्वीस टुको मांसके काढनें और वे सर्व संपू. र्ण होने चाहिये.
और जो कुछ मल मूत्र इत्यादि पदार्थ निकलेंगे वे सर्व जमीनमें गामदेने चाहिये सो श्रुति कहनेवाली नीचे लिखते है.
६ ऊवध्यगोहं पार्थिव नावार्थ-नसका सब अंग पृथ्वीमें गाम देना. पंचिका २ खंड ६॥
होतार पुरोहित नीचे लिखे प्रमाणे बोलता है. ७ अध्रिगो शमीध्वं, सुशमी शमिध्वं शमीध्वमध्रिगा ३ उति त्रि—यात् खंड ७ में.
अर्थ-अजीतरें मारो मारणेमें कसर मत रखनी ।
रक्तलहु राक्षसकों दे देना कहा है । सो आगे श्रुति लिखी जाती है. ॥
८ अस्ना रक्षः संसृजतादित्याह । अर्थ-रक्तसें राक्षसकुं देना. खंड ७
पीछे कलेजेका होम वपाहोम जिसको कहते है सो ईसरीतीसें लिखा है सो श्रुति.
९ तस्य वपामुखिद्याहरंति तामध्वर्युः त्रुवेणाभिधार यन्नाह। अर्थ-तिसकी चरबी लेकर तिसमें अध्वर्यु स्रुवमे रखते है. खंग १२
१० सर्वमायुरेति य एवं वेद । अर्थ-ए आख्यान जे जानता है सो आयुष्य प्राप्त करते है.
इस आख्यानके जाननेका फल यही है कि आयुष्य वृद्धि
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