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अज्ञानतिमिरनास्कर, करते है. प्रथम अग्निहोत्र बंद करनेसे वेदोक्त यज्ञोंकी जम काट गेरी है तोनी ब्राह्मणादि अग्निहोत्र नहीं बोझते है. सांप्रत कालमें जैसे काशी में बालशास्त्रीजी अग्निहोत्री सुनने में अग्निहोत्री बहोत है." ' आते है. जूनागढका दिवान गोकुलजी काला सांख्यायनी ऋग्वेदी ब्राह्मण है, सो हाल में अग्निहोत्री हुआ है. अहमदावादका सदरअमीन नान मैरालनेंनी अग्निहोत्र लीना है. कुलाबाके बाबाजी दिवानजीका बेटा धुडीराजा विनायक नर्फे नान साहिब विवलकर ये बरसो बरस एक दो यज्ञ करके बहुत रुपये खरचते है. ये संप्रतिकालके प्राचीनबर्दिराजा है. इनके समजाने वास्ते नारद कौन मिलेगा सो कौन जाने. गोपालराव मैराल ये गृहस्थ बमोदरेमें प्रसिह थे तिनका नत्रीजा नारायणराव पांडुरंग इनोंने नर्मदा नदीके कांठे बेलु नाम गाममें सात यज्ञ करे, तिनमें लाखों रुपए खरच करे है. इसीतरे काशी प्रमुख बहुत जगें यज्ञ होते है. सिवाय गुजरात, मारवाम, दिल्ली, पंजाब के और देशोंमें यज्ञ करणेमें कोई रोकटोक नहीं है. जिस ब्राह्मण के कुल में तीन पुरुष तक यज्ञ न दुआ होवे तिसको दुर्ब्राह्मण कहते है. और तिसकों इस बाबत प्रायश्चित करणा पड़ता है. यह प्रथम पाराशरका कथन नहीं माना. १
दूसरा गवालंन्न. यझादिकमें गायका वध करणा यह रश्म मनु और याज्ञवल्क्य तक जारीश्री. पुराण और नाटक ग्रंथोनी यह विधि लिखी है तिस बास्तै गौहिंसाके निषेधकों बहुत काल नहीं दुआ. अनुमानसे ऐसा मालुम होता है तथा तैतीर्य ब्राह्मणमें और शतपथ ब्राह्मणमें नीचे लिखी श्रुति है. मधुपककाउत्प “गव्यान्यशनत्तमेहन्नालन्नते" ॥ इन ग्रंथोके पृष्ट त्ति.
।१६ । ३० । वेदाझासें मधुपर्क नत्पन्न हुआ. राजा
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