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हितीयखम. प्रश्न-श्रीमहावीर स्वामीके पीछे संवत ११४ में कानसा कलकी राजा हुआ है जिसकी बाबत दिवाली कल्पादि ग्रंयोमै कलकीका होना लिखा है ?
उत्तर-गुर्जर देश नूपावली ग्रंथमें लिखा है कि विक्रमादित्यके संवत १४४६ में अल्लानदीन खुनी बादशाहका राज्य या तिसके पहिला ओर पीने सहाबुद्दीन खुनी ओर शरकीफिसान दुश्रे है. यह अल्लानदीनादि ऐसे जुल्मी बादशाह दुबे है कि जिनोंने हजारो मंदिर तोडवाये थे. अल्लाउदीन तो ऐसा जुल्मी था कि जिसने अपना किला बनाने वास्ते ऐसा हुकम करा था के निः केवल मंदिर तोमके तिनके मसालेसेंही किल्ला बनाया जावे. तिस अल्लाउदीनने प्रनासपाटनमें राजा कुमारपालका बनाया जैनमंदिर तोमवाके मसजीद बनाई थी. सो मसजीद पाटनमें विद्यमान है. तिस अल्लानदीनके राज्यमें प्रजाको ऐसा दुःख दुआ था कि किसी राजाके राज्यमें ऐसा नहि दुआ होगा. इस वास्ते ये जुल्मी बादशाह मेरी समजमें कलंकी राजा था. इसके जुल्म इतिहास ग्रंथोमें ऐसा लिखे है कि जिनके वांचनेसे आंखोमें तुरत आंसु आ जावे. और जो कलंकीका विशेष वर्णन लिखा है सो समुच्चय है, इस कलंकीके वास्ते नहिं. किंतु सर्व कलंकी, उपकलंकीओ से जो जारी कलंकी होवेगा तिसके वास्ते मालुम होता है. क्योंकि सुदृष्टतरंगिणी नामके ग्रंथमें तथा अन्य ग्रंथोमै कलंकी नपकलंकी बहुत होने लिखे है इस वास्ते पूर्वोक्त जुल्मी बादशाह पूर्वोक्त संवतमें दुआ संनव होता है तिसकोंही कलंकी कहना ठीक है.
प्रश्न-सबसे बडा कलंकी कबहोवेगा जिसके विशेषण दीवाली कल्पादि ग्रंथोमें कहा है.
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