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________________ १४६ अज्ञानतिमिरनास्कर, है, तो पूर्वोक्त काम करन कालमें क्या वो अनंत शक्ति नष्ट हो जाति है ? नास्तिक-ईश्वर असंनवकाम नही करता. पूर्वोक्त काम असंनव है. इस वास्ते ईश्वर नही करता. आस्तिक-सृष्टिका रचनानी असंभव है यह क्यों कर करता है? नास्तिक-ईश्वरके कीये दुवे नियम जैसे अग्नि नष्ण, जल, शीतल इत्यादि इनकों ईश्वरत्नी नही बदल सक्ता है, इस लिये सर्व शक्तिमानका अर्थ इतनाही है कि परमात्मा, बिना किसीके सहायक सब कार्य पूर्ण कर सकता है. आस्तिक-जब ईश्वरमें अपने करे दुवे नियमोके बदलनेकी सामर्थ्य नही तो वह नियम ईश्वरनें करे है यह क्योंकर सिह होगा ? नास्तिक-विना कर्ताके कोनी क्रिया वा क्रियाजन्य पदार्थ नही बन सक्ता. जिन पृथ्वी आदि पदार्थोमें संयोग विशेषसें रचना दीखती है बे अनादि कन्नी नही हो सक्ते, इससे सृष्टिका कर्ता ईश्वर सिह होता है. आस्तिक-पृथ्वी आदि पदार्थोकी जो रचना है उनका कर्ता पृथ्वीकायकादि जीव है, ईश्वर नही. यह रचना प्रवाहसें अनादि अनंत है, पर्यायकी अपेक्षासें सादिसांत है. नास्तिक-संयोग कोईनी अनादि नही हो सक्ता है. आस्तिक-हे नास्तिक ! तुमारे ईश्वरके अंशोके संयोगकी जो रचना है उसका कौन कर्ता है ? नास्तिक-ईश्वरतो निरंश. है. जेकर ईश्वरका अंश होवे तो ननके संयोगद्वारा ईश्वरकी रचनाका कन्निी कोई सिाह होवे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003648
Book TitleAgnantimirbhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1906
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Vaad, & Philosophy
File Size22 MB
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