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प्रश्रमखम.
१४७ आस्तिक-जेकर ई-वर निरंश होवे तो घटपटादि सर्व पदाोंमें व्यापकनही सिह होगा, क्योंकि एक परमाणुमें ईश्वर सर्वात्मा करके रहता है के एक अंश करके ? जेकर सर्वात्मा करके रहता है तो एक परमाणु प्रमाण ईश्वर सिह होगा, जेकर कहोगें एक अंश करके रहता है तो सिह दुवा ईश्वर अंशो वाला है, निरंश नही. :
नास्तिक-ईश्वरके अंशोका संयोग अनादि है.
आस्तिक-पृथ्वी आदि पदार्थोके संयोगकों अनादि कहतेको क्या लज्जा आती है ?
नास्तिक-आदि सृष्टि मैथुनी नही होती.
आस्तिक-यह तुमारा कहना असंन्नव है. इसमें को.. इनी प्रमाण नही.
नास्तिक-जो कोई पदार्थको देखता है तो दो तरेंका ज्ञान होता है. एक जैसा वह पदार्थ हैं. दूसरा नसकी रचना देखकर बनाने वालेका.
आस्तिक-३५ धनुष्य देखकर इंधनुष्यका ज्ञान होता है यह किसीने बनाया है ऐसा कीसीकोनी ज्ञान नही होता है..
नास्तिक-यह पृथ्वी परमेश्वरनें धारण करी हुई है.
आस्तिक- मूर्त पदार्थोको अमूर्त कन्नी धारण नही कर सक्ता, जेकर करता है तो आकाशमें पृथ्वी से एक गज नंची ईंट देख कर तो दिखावो.
___नास्तिक-ऐसातो. कोई मूर्त पदार्थ नही अधरमें मूर्न पदार्थकों धारण करे.
आस्तिक-तृणादि अनेक पदार्थोको धारन करता दुवा वायु तुमकों नही दीखता जो ईश्वरके माथे पर इतना लार देकर अपना मजूर बनाते हो. . . .
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