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________________ प्रथमखम. ՍԱ नीष्मस्तवराज नारते. ॥ अर्थ--सर्व रूपोंमें परायण ऐसा विष्णु बुझका रूप लेकर मोह करता है, ते मोहात्माकु नमस्कार है ॥ ६ तथा ब्राह्मणोंने वेद माननेका अनिमानतो नही बगेमाथा. परंतु जैन बोइमतका नपदेश इनके मनमें अठी तरें प्रवेश कर भारतमें हि- गयाथा. तिस वास्ते नारतमें हिंसा सो क्या है. साका निषेध- अहिंसा यह क्या है. मांस खाना के नही खाना इन बातोंमें बहुँ तकरार और प्रश्नोत्तर लिखे है. और तिन सर्वका तात्पर्य यह मालुम होता है कि वेदने जो कही हिंसा सौ करणी, अन्यत्र अहिंसा पालनी, वेदविहित हिंसामें पाप नही, जैसे मुसलमान लोग कुरवाने ईद जिसको बकरी ईद कहिंसामें मुस- हते है तिस दिन अवश्य जानवर मारके परमेश्वलमान लोगका दृष्टांत, रको बलिदान देते है. सो ईद जिलहिज महीने में आती है. जिलहिज अर्थात् मुसलमानोंकी जात्राका ठिकाणा जो मक्का तहां जानेका महिना, जो मुसलमान मक्के जा आता है तिसको हाजी कहते है. और जो जात्राकों जाते है वे तहां जात्रामें जीव मारके बलिदान करते है. और जिस वखन पशुका वध करते है तिस वखत बिसमिल्लाह कहके करते है. बिसमिल्लाह इस शब्दका यह अर्थ होता है, परमेश्वर दयालु है तथा शुरु करता हूं अल्लाहके नामसे. और बिसमिल्लाह कहे विना जो जीव मारा जाता है तिसको वे लोक हराम कहते है, तिस पशुका नक्षण करना अपवित्र गिणते है. और बिसमिल्लाह कहके पशु वध करा जावे तो तिसका नकण करता हलाल अर्थात् पवित्र गिणते है. इसी तरें ब्राह्मण लोगोंमें जहां वैदिक कर्म होता है तहां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003648
Book TitleAgnantimirbhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1906
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Vaad, & Philosophy
File Size22 MB
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