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________________ प्रथमखं. ८१ नमस्कार करूं तेरे ताइ तेरा कंठ काला है. तेरे हजार ख है. फेर तु जलकी दृष्टि करनेवाला है. तेरा धनुष तैयार है. तुं जटावाला है, तेरे स्कंध नपर सुवर्णकां अलंकार है. तुं जंगलका राजा है, तुं खजदारी है और गुप्त चोरोका सरदार है, तुंदबाजी करनेवाला और तं चोरोंका स्वामी है. रात्री में फिरनेवाला पर्वत में फिरनेवाला और सुतारनी तुं है, फेर तुं लाल और नगवांजी है, सर्व जंगके सपका मारणेवालाजी तु है. गामी बनानेवाला तुं है, कुंजार तुं है, खुदारजी तुं है, तुं कुत्ता है और कुतोका पालनेवालाजी तूं है. तुं सफेद गलेवाला है और बकतर पदे हूये है, फेर तुं गायांका मारनेवाला और पुरुषोंके मारनेवाला, सन्मुख वेतिसका मारनेवाला और दूर होवे तिसका मारनेवाला झाडोमें रहनेवाला, और घासमें रहनेवाला तुं है. फेर मैदान में रहनेवाला, रेतमें रहनेवाला, ढोरोके टोलेमें तीर बनानेवा ला, धनुष बनानेवाला, जंगलमें रहनेवाले जनावरांको लडाना नही मारना नही मेरे बेटांको न मारना. तुं वैद्य है. तेरे चोटी नही है. तेरी मूर्तियों की गिनती इतनी है. तुं रस्तेमं रहता है कितनेक तीर्थो में रहता है. कितनीक रसोइयो में विघ्न करते हो. पूर्व दिशमें तुम दश, दक्षिण में दश, पश्चिममें दश, उत्तरमें दश. और प्रकाशजी तुम दश हो. जो हमारा शत्रु होवे तिसक तुं डाढमें डालके पोसके चावगेर, अन्न दे, यज्ञ करनेकी शक्ति दें, यज्ञ करने योग्य कर, कल्याण दे, धन दे, सबी दे, तुं पत्थर दे, अनि दे, आग्रयण नामक यज्ञ करनेकी सामर्थ्य दे, यज्ञका पात्र दे, आयुष दे, यज्ञके काम में उपयोग आवे ऐसा कर, रुपी में रु देवकी प्रार्थना है. तिसमें यश करने वास्ते सर्व प्रकारकी सामग्री मुजकों दै. और वो सामग्री वेरवे वार लिखी हैसो श्रागे लिखते है. 16 Jain Education International " For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003648
Book TitleAgnantimirbhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayanandsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1906
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Vaad, & Philosophy
File Size22 MB
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