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________________ ६४ श्री तपगच्छ आपी छे. जेना लेखा अने पट्टा पण मौजूद छे. आजे आ स्थान दादावाडी तरीके प्रख्यात थयुं छे. आवी रीते हीरयुगमां गूजरात बहार साधुओना विहार वध्यो अने जैनशासननो खूब प्रचार थयो. ___ उनामां पण श्रीहीरविजयसूरिजीना समुदायना मुख्य मुख्य बधा आचार्यो अने शिष्योनी पादुका छे. अने त्यां पण सा वीघां जमीन तेना रक्षण माटे सुबाओद्वारा मळेली छे, परन्तु श्रावकानी बेदरकारीथी घणी जमीन जुनागढ स्टेट दबावतुं जाय छे. आवां जनेक शुभ कार्यो हीरयुगना मुनिमहात्माओए राजसत्ताधिकारीओने उपदेश आपी कराव्यां छे. पं. केसरकुशल विजयसेनसूरिना प्रशिष्य श्री केसरकुशलजीए औरंगजेबना पुत्र बहादुरशाह अने दक्षिणना सुबा नवाब महमद युसुफखानने प्रतिबोधी दक्षिणना कुल्पाकजी तीर्थनो वि० सं० १७६७मां जीर्णोद्धार कराव्यो. विजयरत्नसरि तेओ श्री विजथदेवसूरिजीना प्रशिष्य थता हता. तेमणे १७६४मां नागोरना राणा अमरसिंहने प्रतिबोध्यो हतो अने १७७१मां जोधपुरनरेश अजितसिंहने प्रतिबोध्यो हतो. तेम ज मेडतानो उपाश्रय जे मसिद बन्यो हतो ते पुनः पाछो मेळवी उपाश्रय बनाव्यो. आ अढारमी सदीना महान् आचार्य थया. आवी ज रीते सत्यविजयगणि, महामहोपाध्याय श्री यशोविजयजी, उपाध्यायजी श्री विनयविजयजी आदि प्रभावक पुरुषो थया छे. वर्तमान वीसमी सदीना-आचार्यो वर्तमानमा आचार्य महाराज श्री विजयनेमिसूरीश्वरजीए लींबडीनरेश, चुडाननेश, गांडलनरेश जुनागढनरेश आदि द्वारा ते ते स्थानोए. अहिंसा पळावी छे. तेओ महाप्रभावी अने परम प्रतापी छे. श्री सागरानन्दसरीश्वरजी सैलानानरेश प्रतिबोधक तरीके प्रसिद्ध छे. तेओ आगमोद्वारकजैनागमोने शुद्धरूपे प्रकाशित करावनार-महान् आचार्य छे. विजयकमलमरिजी (बन्ने ), विजयवल्लभमरिजी, विजयदानसरिजी आदिए पण अनेक राजपुतो जाट आदिने उपदेश आपी अहिंसा पळावी छे अने वडोदरा नरेशने पण उपदेश आप्यो छे. बुद्धिसागरसूरि, विजयकेसरसूरिजी आदिए पण नाना नाना राजाओने, राजपुतोने अने अन्य जातिओने उपदेश आपी अहिंसा पळावी छे. विजयधर्मसूरिजीए अनेक भारतीय राजामहाराजाओ अने विद्वानोने उपदेश आप्पो छे. तेम ज तेमणे पाश्चात्य विद्वानो अने अधिकारीओने उपदेश आयो छे. गर्वनर, एजन्ट-टु-धी-गर्वनर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003643
Book TitleTapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantilal Chottalal Shah
PublisherJayantilal Chottalal Shah
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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