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________________ ६५ श्रमण वंशवृक्ष आदिने मळनार आ प्रथम ज जैनाचार्य छे. एमणे केटलायने मांसाहार छोडावेल छे. पश्चिमना देशोमां जैन साहित्यनो प्रचार ए एमनु मुख्य कार्यक्षेत्र हतुं. विजयशान्तिमूरिजी बिकानेर, लींबडी, जोधपुर आदिना राजा महागजा, रजपुतो अने अंग्रेज अधिकारीओने प्रतिबोधो मांसाहार त्याग करावे छे, शिकार, तथा व्यसनो बंध करावे छे. स्वर्गस्थ गुरुदेव श्री चारित्रविजयजी महाराज ( श्री यशोविजयजी जैनगुरुकुल-स्थापक) तेओश्रीए पालीताणाना एडमिनिस्ट्रेटर मेजर स्ट्रोंग साहेब, तथा मालोया, लाकडीया अने अंगीयाना राजासाहेबोने प्रतिबोध आपी अनेक सुकृत करावेल छे. अने केटलाये रजपुतो, अने अधिकारीओनो मांसाहार छोडाव्यो छे. उपसंहार आ लेखमां कौंस ( ) मा जे नंबरो आप्या छे ए तपगच्छ श्रमग वंशवृक्षना मूल नंबरो छे. मने जे साहित्य मळ्यु ते प्रमाणे प्रसिद्ध प्रसिद्ध जैनाचार्योए राजामहाराजाओने उपदेश आपी जे प्रतिबोध को छे; जिनशासननी जे प्रभावना अने प्रचार कर्यो छे, तेनी टुंकी नेांध आपी छे. हजारो अने लाखो रजपुतोने अने अन्य समाजोने पण प्रतिबोधी जैन बनावनार, महामंत्रीश्वरोना प्रतिबोधक, प्रकांड विद्वानो, दिग्गजपंडितो, महान् ग्रंथकारो, योगीश्वरो वगेरे अनेक जनशासनना संरक्षको, दीपकोनो आ नानकडा निबंधमां हुं उल्लेख नथी करी शकयो. एटलुं स्थान पण नथी. में आ निबधमा जे आचार्योनो परिचय आप्यो छे तेनो विशेष परिचय आपवानी जरुर हती-छे परन्तु स्थाननो अभाव मने तेम करतां रोके छे एटले बाचको आटला टुंका परिचयथी संतोष मानशे एम इच्छु छं. ___ आ लेख लखवामां पट्टावली समुच्चय भा. १, अप्रसिद्ध त्रीजो, चोथो भाग, प्रभावकचरित्र, महावीर-निर्वाणकालगणना, हिस्ट्रि ओफ ओसवाल, राजस्थानोंका इतिहास, राजपुताने के जैनवीर, हिन्दुस्तान के देशीराज्य, जैनकोन्फरन्स हेरल्ड, अने सनातनजैन वगेरे वगेरनो में उपयोग को छ एटले ए ग्रंथलेखकोनो आभार मानी आ लेख पूरो करुं छं. आ निबंधमां क्यांय पण क्षति जणाय तो ते तरफ मारुं लक्ष्य दोरवानी विद्वानोने प्रार्थना छे जेथी आगळ उपर सुधारो करी शकाय, अजमेर, लाखणकोटडी वीरसंवत २४६२ अषाढी पूनम. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003643
Book TitleTapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantilal Chottalal Shah
PublisherJayantilal Chottalal Shah
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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