________________
© डा. प्रेमसागर जैन
प्रकाशक:
श्री वीर निर्वाण ग्रन्थ प्रकाशन समिति, ४८, सीतलामाता बाजार, इन्दौर-४५२ ००२, (म. प्र.) आवरण : विष्णु चिचालकर
प्रथम आवृति वी. नि. सं. २५०१ ईस्वी सन् १९७५
मूल्य : दस रुपये
मुद्रक : नई दुनिया प्रेस, इन्दौर
विश्व की मूल लिपि ब्राह्मी भाषा विज्ञान डा. प्रेमसागर जैन
Vishwa Ki Mul Lipi Brahmi Linguistics Dr. PREMSAGAR JAIN
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org